वज्रमय: Difference between revisions
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<p> मेरु पर्वत की पृथिवीकाय रूप छ: परिधियों में तीसरी परिधि । इसका विस्तार सोलह हजार पाँच सौ योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.305 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> मेरु पर्वत की पृथिवीकाय रूप छ: परिधियों में तीसरी परिधि । इसका विस्तार सोलह हजार पाँच सौ योजन है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.305 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
मेरु पर्वत की पृथिवीकाय रूप छ: परिधियों में तीसरी परिधि । इसका विस्तार सोलह हजार पाँच सौ योजन है । हरिवंशपुराण 5.305