वर्द्धमान: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | == सिद्धांतकोष से == | ||
<ol> | <ol> | ||
<li> | <li> प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/1/3/16 <span class="SanskritText"> अब समन्तादृद्धं ‘वृद्धं’ मानं प्रमाणं ज्ञानं यस्य स भवित वर्द्धमानः । </span>= <span class="HindiText">‘अव’ अर्थात् समन्तात्, ॠृद्धम् अर्थात् वृद्ध, मान अर्थात् प्रमाण या ज्ञान । अर्थात् हर प्रकार से वृद्ध ज्ञान जिसके होता है ऐसे भगवान् वर्द्धमान हैं । </span></li> | ||
<li class="HindiText"> भगवान् महावीर का अपरनाम भी वर्द्धमान है - देखें [[ महावीर ]]। </li> | <li class="HindiText"> भगवान् महावीर का अपरनाम भी वर्द्धमान है - देखें [[ महावीर ]]। </li> | ||
<li class="HindiText"> रुचक पर्वत का एक कूट है - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]; </li> | <li class="HindiText"> रुचक पर्वत का एक कूट है - देखें [[ लोक#5.13 | लोक - 5.13]]; </li> |
Revision as of 19:14, 17 July 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- प्रवचनसार / तात्पर्यवृत्ति/1/3/16 अब समन्तादृद्धं ‘वृद्धं’ मानं प्रमाणं ज्ञानं यस्य स भवित वर्द्धमानः । = ‘अव’ अर्थात् समन्तात्, ॠृद्धम् अर्थात् वृद्ध, मान अर्थात् प्रमाण या ज्ञान । अर्थात् हर प्रकार से वृद्ध ज्ञान जिसके होता है ऐसे भगवान् वर्द्धमान हैं ।
- भगवान् महावीर का अपरनाम भी वर्द्धमान है - देखें महावीर ।
- रुचक पर्वत का एक कूट है - देखें लोक - 5.13;
- अवधिज्ञान का एक भेद । - देखें अवधिज्ञान - 1 ।
पुराणकोष से
(1) सौधर्मेन्द्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.145
(2) रुचकवर पर्वत की उत्तर दिशा का एक कूट । यहाँ अंजन गिरि का दिग्गजेन्द्र देव रहता है । हरिवंशपुराण 5.703, देखें रुचकवर
(3) नृत्य का एक भेद । महापुराण 14.133
(4) कीर्ति तथा गुणों से वर्द्धमान होने के कारण इन्द्र द्वारा प्रदत्त तीर्थङ्कर महावीर का एक नाम । वीरवर्द्धमान चरित्र 1. 4, देखें महावीर