वाग्वलि: Difference between revisions
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<p> माता-पिता-सेवायज्ञ का संचालक । यह पिप्पलाद का शिष्य था । बकरे की पर्याय में मरते समय इसे चारुदत्त ने पंच नमस्कार मंत्र दिया था जिसके प्रभाव से मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में उत्तम देव हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 146-151 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> माता-पिता-सेवायज्ञ का संचालक । यह पिप्पलाद का शिष्य था । बकरे की पर्याय में मरते समय इसे चारुदत्त ने पंच नमस्कार मंत्र दिया था जिसके प्रभाव से मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में उत्तम देव हुआ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21. 146-151 </span></p> | ||
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Revision as of 16:57, 14 November 2020
माता-पिता-सेवायज्ञ का संचालक । यह पिप्पलाद का शिष्य था । बकरे की पर्याय में मरते समय इसे चारुदत्त ने पंच नमस्कार मंत्र दिया था जिसके प्रभाव से मरकर यह सौधर्म स्वर्ग में उत्तम देव हुआ । हरिवंशपुराण 21. 146-151