अंतकृत् केवली: Difference between revisions
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[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,२/१०२/२ संसारस्यान्तः कृतो येस्तेऽन्तकृतः (केवलिनः)। <br><p class="HindiSentence">= जिन्होंने संसार का अन्त कर दिया है उन्हें अन्तकृत् केवली कहते हैं।</p> | [[धवला]] पुस्तक संख्या १/१,१,२/१०२/२ संसारस्यान्तः कृतो येस्तेऽन्तकृतः (केवलिनः)। <br> | ||
<p class="HindiSentence">= जिन्होंने संसार का अन्त कर दिया है उन्हें अन्तकृत् केवली कहते हैं।</p> | |||
२. महावीर के तीर्थ के दस अन्तकृत् केवलियों का निर्देश<br> | |||
[[धवला]] पुस्तक संख्या १/१, १, २/१०३/२ नमि-मतङ्ग सोमिल-रामपुत्र-सुदर्शन-यमलीक-वलीक-किष्किंविल-पालम्बाष्टपुत्रा इति एते दश वर्द्धमानतीर्थंकरतीर्थे।.... दारुणानुपसर्गान्निर्जित्यकृत्स्नकर्मक्षयादन्तकृतो...। <br> | |||
<p class="HindiSentence">= वर्धमान तीर्थंकर के तीर्थ में नमि, मतंग, सोमिल, रामपुत्र, सुदर्शन, यमलीक, वलीक, किष्किंविल, पालम्ब, अष्टपुत्र ये दश... दारुण उपसर्गों को जीतकर सम्पूर्ण कर्मों के क्षय से अन्तकृत् केवली हुए।</p> | |||
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Revision as of 11:41, 1 May 2009
धवला पुस्तक संख्या १/१,१,२/१०२/२ संसारस्यान्तः कृतो येस्तेऽन्तकृतः (केवलिनः)।
= जिन्होंने संसार का अन्त कर दिया है उन्हें अन्तकृत् केवली कहते हैं।
२. महावीर के तीर्थ के दस अन्तकृत् केवलियों का निर्देश
धवला पुस्तक संख्या १/१, १, २/१०३/२ नमि-मतङ्ग सोमिल-रामपुत्र-सुदर्शन-यमलीक-वलीक-किष्किंविल-पालम्बाष्टपुत्रा इति एते दश वर्द्धमानतीर्थंकरतीर्थे।.... दारुणानुपसर्गान्निर्जित्यकृत्स्नकर्मक्षयादन्तकृतो...।
= वर्धमान तीर्थंकर के तीर्थ में नमि, मतंग, सोमिल, रामपुत्र, सुदर्शन, यमलीक, वलीक, किष्किंविल, पालम्ब, अष्टपुत्र ये दश... दारुण उपसर्गों को जीतकर सम्पूर्ण कर्मों के क्षय से अन्तकृत् केवली हुए।