विनयदत्त: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) एक मुनि । कीचक ने पूर्वभव में इन्हीं मुनि को दिये गये आहारदान का माहात्म्य देखकर दीक्षा की था तथा मरकर स्वर्ग गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.55 </span></p> | <p id="1"> (1) एक मुनि । कीचक ने पूर्वभव में इन्हीं मुनि को दिये गये आहारदान का माहात्म्य देखकर दीक्षा की था तथा मरकर स्वर्ग गया था । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.55 </span></p> | ||
<p id="2">(2) एक श्रावक । राजा श्रीवर्धित को राजा | <p id="2">(2) एक श्रावक । राजा श्रीवर्धित को राजा सिंहेंदु के नगर में आने की सूचना इसी ने दी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 80.184-185 </span></p> | ||
Revision as of 16:35, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == मूलसंघ की पट्टावली के अनुसार आप लोहाचार्य के पश्चात् एक पूर्वधारी थे। समय-बी.नि.565-585 (ई.38-58)। -विशेष देखें इतिहास - 4.4।
पुराणकोष से
(1) एक मुनि । कीचक ने पूर्वभव में इन्हीं मुनि को दिये गये आहारदान का माहात्म्य देखकर दीक्षा की था तथा मरकर स्वर्ग गया था । हरिवंशपुराण 46.55
(2) एक श्रावक । राजा श्रीवर्धित को राजा सिंहेंदु के नगर में आने की सूचना इसी ने दी थी । पद्मपुराण 80.184-185