शिक्षाव्रत: Difference between revisions
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Revision as of 16:37, 19 August 2020
मुनिधर्म के अभ्यास में हेतु रूप गृहस्थो के चार व्रत— (1) तीनों संख्याओं में सामायिक करना (2) प्रौषधोपवास करना (3) अतिथि पूजन करना और (4) आयु के अंत में सल्लेखना धारण करना । महापुराण में इन्हें क्रमश: समता, प्रौषधविधि, अतिथिसंग्रह तथा मरण समय में लिया जाने वाला संन्यास नाम दिये गये हैं । महापुराण 10.166, हरिवंशपुराण 2.134, 18.45-47