शुद्ध निश्चयनय: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
J2jinendra (talk | contribs) No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
देखें [[ नय#V.1 | नय - V.1]]। | <span class="GRef">नयचक्र बृहद्/115</span> <span class="PrakritGatha">सुद्धो जीवसहावो जो रहिओ दव्वभावकम्मेहिं। सो सुद्धणिच्छयादो समासिओ सुद्धणाणीहिं।115।</span>=<span class="HindiText">'''शुद्धनिश्चय नय''' से जीवस्वभाव द्रव्य व भावकर्मों से रहित कहा गया है।</span><br /> | ||
<p class="HindiText">अधिक जानकारी के लिये देखें [[ नय#V.1.5 | नय - V.1.5]]।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> | ||
Line 8: | Line 10: | ||
</noinclude> | </noinclude> | ||
[[Category: श]] | [[Category: श]] | ||
[[Category: द्रव्यानुयोग]] |
Latest revision as of 14:26, 2 March 2024
नयचक्र बृहद्/115 सुद्धो जीवसहावो जो रहिओ दव्वभावकम्मेहिं। सो सुद्धणिच्छयादो समासिओ सुद्धणाणीहिं।115।=शुद्धनिश्चय नय से जीवस्वभाव द्रव्य व भावकर्मों से रहित कहा गया है।
अधिक जानकारी के लिये देखें नय - V.1.5।