समवायांग: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> द्वादशांग-श्रुत का चौथा अंग । इसमें एक लाख चौसठ हजार पद है । <span class="GRef"> महापुराण 34.138,2. 92, 10.30 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> द्वादशांग-श्रुत का चौथा अंग । इसमें एक लाख चौसठ हजार पद है । <span class="GRef"> महापुराण 34.138,2. 92, 10.30 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:58, 14 November 2020
द्वादशांग-श्रुत का चौथा अंग । इसमें एक लाख चौसठ हजार पद है । महापुराण 34.138,2. 92, 10.30