साध्य सम: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<span class="SanskritText"> | <span class="SanskritText"> न्यायदर्शन सूत्र/ मू./2/8 साध्याविशिष्ट: साध्यत्वात्साध्यसम:।8।</span> =<span class="HindiText">साध्य होने के कारण साध्य से जो अभिन्न है ऐसे हेतु को साध्यसम हेत्वाभास कहते हैं। [जैसे पर्वत वह्निमान् है, क्योंकि वह वह्निमान है।] ( श्लोकवार्तिक 4/1/33/ न्या./273/426/25)</span> | ||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 19:16, 17 July 2020
न्यायदर्शन सूत्र/ मू./2/8 साध्याविशिष्ट: साध्यत्वात्साध्यसम:।8। =साध्य होने के कारण साध्य से जो अभिन्न है ऐसे हेतु को साध्यसम हेत्वाभास कहते हैं। [जैसे पर्वत वह्निमान् है, क्योंकि वह वह्निमान है।] ( श्लोकवार्तिक 4/1/33/ न्या./273/426/25)