सिंहनंदि: Difference between revisions
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<li>ई.1122 के दो शिलालेखों के अनुसार भानुनन्दि के शिष्य आ.सिद्धनन्दि योगीन्द्र गंग राजवंश की स्थापना में सहायक हुए थे। समय-ई.श.2। (ती./2/445)।</li> | <li>ई.1122 के दो शिलालेखों के अनुसार भानुनन्दि के शिष्य आ.सिद्धनन्दि योगीन्द्र गंग राजवंश की स्थापना में सहायक हुए थे। समय-ई.श.2। (ती./2/445)।</li> | ||
<li>नन्दि संघ बलात्कारगण में भानुनन्दि के शिष्य और वसुनन्दि के गुरु। समय-शक 508-525 (ई.586-613)। (देखें [[ इतिहास#7.2 | इतिहास - 7.2]])।</li> | <li>नन्दि संघ बलात्कारगण में भानुनन्दि के शिष्य और वसुनन्दि के गुरु। समय-शक 508-525 (ई.586-613)। (देखें [[ इतिहास#7.2 | इतिहास - 7.2]])।</li> | ||
<li>सर्वनन्दि कृत 'लोक विभाग' के संस्कृत रूपान्तर के रचयिता। ( | <li>सर्वनन्दि कृत 'लोक विभाग' के संस्कृत रूपान्तर के रचयिता। ( तिलोयपण्णत्ति/ प्र.12/H.L.Jain)।</li> | ||
<li>गंगवंशीय राजमल्ल के गुरु के गुरु थे। तथा उनके मन्त्री चामुण्डराय के गुरु अजितसेनाचार्य के गुरु थे। राजा मल के अनुसार इनका समय-वि.सं.1010-1030 (ई.953-973) आता है। (बाहुबलि चरित/श्लो.6911)।</li> | <li>गंगवंशीय राजमल्ल के गुरु के गुरु थे। तथा उनके मन्त्री चामुण्डराय के गुरु अजितसेनाचार्य के गुरु थे। राजा मल के अनुसार इनका समय-वि.सं.1010-1030 (ई.953-973) आता है। (बाहुबलि चरित/श्लो.6911)।</li> | ||
<li>नन्दि संघ बलात्कारगण की सूरत शाखा में मल्लिषेण के शिष्य और ब्र.नेमिदत्त के गुरु। लक्ष्मीचन्द (ई.1518) के समय में मालवा के भट्टारक थे। आपकी प्रार्थना पर ही भट्टारक श्रुतसागर ने यशस्तिलक चन्द्रिका नामक टीका लिखी थी। समय-वि.1556-1575 (ई.1499-1518)। (देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]); (यशस्तिलक चम्पू टीका की अन्तिम प्रशस्ति का अन्त)।-देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]।</li> | <li>नन्दि संघ बलात्कारगण की सूरत शाखा में मल्लिषेण के शिष्य और ब्र.नेमिदत्त के गुरु। लक्ष्मीचन्द (ई.1518) के समय में मालवा के भट्टारक थे। आपकी प्रार्थना पर ही भट्टारक श्रुतसागर ने यशस्तिलक चन्द्रिका नामक टीका लिखी थी। समय-वि.1556-1575 (ई.1499-1518)। (देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]); (यशस्तिलक चम्पू टीका की अन्तिम प्रशस्ति का अन्त)।-देखें [[ इतिहास#7.4 | इतिहास - 7.4]]।</li> |
Revision as of 19:16, 17 July 2020
- ई.1122 के दो शिलालेखों के अनुसार भानुनन्दि के शिष्य आ.सिद्धनन्दि योगीन्द्र गंग राजवंश की स्थापना में सहायक हुए थे। समय-ई.श.2। (ती./2/445)।
- नन्दि संघ बलात्कारगण में भानुनन्दि के शिष्य और वसुनन्दि के गुरु। समय-शक 508-525 (ई.586-613)। (देखें इतिहास - 7.2)।
- सर्वनन्दि कृत 'लोक विभाग' के संस्कृत रूपान्तर के रचयिता। ( तिलोयपण्णत्ति/ प्र.12/H.L.Jain)।
- गंगवंशीय राजमल्ल के गुरु के गुरु थे। तथा उनके मन्त्री चामुण्डराय के गुरु अजितसेनाचार्य के गुरु थे। राजा मल के अनुसार इनका समय-वि.सं.1010-1030 (ई.953-973) आता है। (बाहुबलि चरित/श्लो.6911)।
- नन्दि संघ बलात्कारगण की सूरत शाखा में मल्लिषेण के शिष्य और ब्र.नेमिदत्त के गुरु। लक्ष्मीचन्द (ई.1518) के समय में मालवा के भट्टारक थे। आपकी प्रार्थना पर ही भट्टारक श्रुतसागर ने यशस्तिलक चन्द्रिका नामक टीका लिखी थी। समय-वि.1556-1575 (ई.1499-1518)। (देखें इतिहास - 7.4); (यशस्तिलक चम्पू टीका की अन्तिम प्रशस्ति का अन्त)।-देखें इतिहास - 7.4।
- पंच नमस्कार मन्त्र माहात्म्य के कर्ता। समय-वि.श.16 (ई.श.16)।