सुरमन्यु: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> सप्तर्षियों में प्रथम ऋषि । ये प्रभापुर नगर के राजा | <p> सप्तर्षियों में प्रथम ऋषि । ये प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन तथा रानी धरणी के पुत्र थे ये सात भाई थे । उनमें ये सबसे बड़े थे । इनके जो छोटे भाई थे उनके नाम हैं― श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुंदर, जयवान्, विनयलालस और जयमित्र । पिता सहित ये सातों भाई प्रीतिंकर मुनिराज के केवलज्ञान के समय देवों का आगमन देखकर प्रतिबोध को प्राप्त हुए थे । राजा श्रीनंदन ने एक माह के बालक डमरमंगल को राज्य देकर इन सातों पुत्रों के साथ प्रीतिंकर मुनि के समीप दीक्षा धारण कर ली थी । राजा श्रीनंदन के मोक्ष जाने पर ये सातों भाई सप्तर्षि नाम से विख्यात हुए । इनके प्रभाव से चमरेंद्र यक्ष द्वारा मथुरा नगरी में फैलाया गया महामारी रोग शांत हो गया था । ये आकाशगामी थे । सीता ने विधिपूर्वक सहर्ष इनकी पारणा कराई थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 92.1-13, 78-79 </span></p> | ||
Revision as of 16:39, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == सप्त ऋषियों में से एक-देखें सप्तऋषि ।
पुराणकोष से
सप्तर्षियों में प्रथम ऋषि । ये प्रभापुर नगर के राजा श्रीनंदन तथा रानी धरणी के पुत्र थे ये सात भाई थे । उनमें ये सबसे बड़े थे । इनके जो छोटे भाई थे उनके नाम हैं― श्रीमन्यु, श्रीनिचय, सर्वसुंदर, जयवान्, विनयलालस और जयमित्र । पिता सहित ये सातों भाई प्रीतिंकर मुनिराज के केवलज्ञान के समय देवों का आगमन देखकर प्रतिबोध को प्राप्त हुए थे । राजा श्रीनंदन ने एक माह के बालक डमरमंगल को राज्य देकर इन सातों पुत्रों के साथ प्रीतिंकर मुनि के समीप दीक्षा धारण कर ली थी । राजा श्रीनंदन के मोक्ष जाने पर ये सातों भाई सप्तर्षि नाम से विख्यात हुए । इनके प्रभाव से चमरेंद्र यक्ष द्वारा मथुरा नगरी में फैलाया गया महामारी रोग शांत हो गया था । ये आकाशगामी थे । सीता ने विधिपूर्वक सहर्ष इनकी पारणा कराई थी । पद्मपुराण 92.1-13, 78-79