ह्री: Difference between revisions
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== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p id="1"> (1) छ: जिनमातृक दिक्कुमारी देवियों में एक देवी । यह तीर्थंकरों की गर्भावस्था में गर्भ का संशोधन करके लज्जा नामक अपने गुण का जिन माता में संचार करती हुई उनकी सेवा करती है और पद्म सरोवर में स्थित मुख्य कमल में रहती है । इसकी आयु एक पल्य की होती है । <span class="GRef"> महापुराण 12.163-164, 38.222, 226, 63.200, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.130-131, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 7.105-108 </span></p> | <p id="1"> (1) छ: जिनमातृक दिक्कुमारी देवियों में एक देवी । यह तीर्थंकरों की गर्भावस्था में गर्भ का संशोधन करके लज्जा नामक अपने गुण का जिन माता में संचार करती हुई उनकी सेवा करती है और पद्म सरोवर में स्थित मुख्य कमल में रहती है । इसकी आयु एक पल्य की होती है । <span class="GRef"> महापुराण 12.163-164, 38.222, 226, 63.200, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.130-131, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 7.105-108 </span></p> | ||
<p id="2">(2) रुचकदर गिरि की उत्तरदिशा के आठ कूटों में उठे | <p id="2">(2) रुचकदर गिरि की उत्तरदिशा के आठ कूटों में उठे कुंडलकूट की देवी । यह चमर लेकर जिनमाता की सेवा करती है । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.716 </span></p> | ||
<p id="3">(3) ज्योतिःपुर नगर के राजा हुताशनशिख की रानी । इसकी पुत्री सुतारा सुग्रीव की रानी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 10. 2-3, 10 </span></p> | <p id="3">(3) ज्योतिःपुर नगर के राजा हुताशनशिख की रानी । इसकी पुत्री सुतारा सुग्रीव की रानी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 10. 2-3, 10 </span></p> | ||
<p id="4">(4) महाहिमवान् पर्वत के आठ कूटों में पांचवां कूट । <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.89 </span> </span></p> | <p id="4">(4) महाहिमवान् पर्वत के आठ कूटों में पांचवां कूट । <span class="GRef"> <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 5.89 </span> </span></p> |
Revision as of 16:41, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- हैमवत पर्वतस्थ एक कूट - देखें लोक - 5.4;
- हैमवत पर्वतस्थ महापद्म ह्रद तथा ह्रीकूट की स्वामिनी देवी - देखें लोक - 5.4;
- रुचक पर्वतस्थ निवासिनी दिक्कुमारी देवी - देखें लोक - 5.13।
पुराणकोष से
(1) छ: जिनमातृक दिक्कुमारी देवियों में एक देवी । यह तीर्थंकरों की गर्भावस्था में गर्भ का संशोधन करके लज्जा नामक अपने गुण का जिन माता में संचार करती हुई उनकी सेवा करती है और पद्म सरोवर में स्थित मुख्य कमल में रहती है । इसकी आयु एक पल्य की होती है । महापुराण 12.163-164, 38.222, 226, 63.200, हरिवंशपुराण 5.130-131, वीरवर्द्धमान चरित्र 7.105-108
(2) रुचकदर गिरि की उत्तरदिशा के आठ कूटों में उठे कुंडलकूट की देवी । यह चमर लेकर जिनमाता की सेवा करती है । हरिवंशपुराण 5.716
(3) ज्योतिःपुर नगर के राजा हुताशनशिख की रानी । इसकी पुत्री सुतारा सुग्रीव की रानी थी । पद्मपुराण 10. 2-3, 10
(4) महाहिमवान् पर्वत के आठ कूटों में पांचवां कूट । हरिवंशपुराण 5.89
(5) निषधाचल के नौ कूटों में पांचवां कूट । हरिवंशपुराण 5.89