अनंगक्रीडा: Difference between revisions
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[[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ७२८,३/५५४/३१ अङ्गं प्रजननं योनिश्च ततोऽन्यत्र क्रीडा अनङ्गक्रीडा। अनेकविधप्रजननविकारेण जघनादन्यत्र चाङ्गे रतिरित्यर्थः। < | <p class="SanskritPrakritSentence">[[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ७२८,३/५५४/३१ अङ्गं प्रजननं योनिश्च ततोऽन्यत्र क्रीडा अनङ्गक्रीडा। अनेकविधप्रजननविकारेण जघनादन्यत्र चाङ्गे रतिरित्यर्थः। </p> | ||
<p class="HindiSentence">= लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में क्रीड़ा व केलि सो अयोग्य अंगसे क्रीड़ा है अर्थात् काम सेवन के योग्य अंगों को छोड़कर अन्य अंगों में वा अन्य रीतिसे क्रीड़ा करना सो अनंगक्रीड़ा है।</p> | <p class="HindiSentence">= लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में क्रीड़ा व केलि सो अयोग्य अंगसे क्रीड़ा है अर्थात् काम सेवन के योग्य अंगों को छोड़कर अन्य अंगों में वा अन्य रीतिसे क्रीड़ा करना सो अनंगक्रीड़ा है।</p> | ||
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Revision as of 13:40, 24 May 2009
राजवार्तिक अध्याय संख्या ७२८,३/५५४/३१ अङ्गं प्रजननं योनिश्च ततोऽन्यत्र क्रीडा अनङ्गक्रीडा। अनेकविधप्रजननविकारेण जघनादन्यत्र चाङ्गे रतिरित्यर्थः।
= लिंग तथा भग या योनि अंग है। इससे दूसरे स्थान में क्रीड़ा व केलि सो अयोग्य अंगसे क्रीड़ा है अर्थात् काम सेवन के योग्य अंगों को छोड़कर अन्य अंगों में वा अन्य रीतिसे क्रीड़ा करना सो अनंगक्रीड़ा है।