गुणधर: Difference between revisions
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दिगम्बर आम्नाय धरसेनाचार्य की | दिगम्बर आम्नाय धरसेनाचार्य की भा̐ति आपका स्थान पूर्वविदों की परम्परा में है। आपने भगवान वीर से आगत ‘पेज्ज दोसपाहुड़’ के ज्ञान को 180 गाथाओं में बद्ध किया जो आगे जाकर आचार्य परम्परा द्वारा यतिवृषभाचार्य को प्राप्त हुआ। इसी को विस्तृत करके उन्होंने ‘कषाय पाहुड़’ की रचना की। समय–वी नि.श.6 का पूर्वार्ध (वि.पू.श.1)। (विशेष देखें [[ कोश#1. | कोश - 1.]]परिशिष्ट/3/2) | ||
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Revision as of 22:39, 22 July 2020
== सिद्धांतकोष से == दिगम्बर आम्नाय धरसेनाचार्य की भा̐ति आपका स्थान पूर्वविदों की परम्परा में है। आपने भगवान वीर से आगत ‘पेज्ज दोसपाहुड़’ के ज्ञान को 180 गाथाओं में बद्ध किया जो आगे जाकर आचार्य परम्परा द्वारा यतिवृषभाचार्य को प्राप्त हुआ। इसी को विस्तृत करके उन्होंने ‘कषाय पाहुड़’ की रचना की। समय–वी नि.श.6 का पूर्वार्ध (वि.पू.श.1)। (विशेष देखें कोश - 1.परिशिष्ट/3/2)
पुराणकोष से
(1) योगीन्द्र यशोधर का शिष्य । राजर्षि चक्रवर्ती वज्रदन्त ने अपने पुत्रों के राज्य न लेने पर ज्येष्ठ पुत्र अमिततेज के पुत्र पुण्डरीक को राज्य दे दिया और वह साठ हजार रानियों, बीस हजार राजाओं और एक हजार पुत्रों के साथ इन्हीं से दीक्षित हो गया । महापुराण 8. 79-85
(2) राजा उग्रसेन का द्वितीय पुत्र । ये छ: भाई थे । हरिवंशपुराण 48.39