कालानुयोग - ज्ञान मार्गणा: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 84: | Line 84: | ||
<td width="124" valign="top"><p> </p></td> | <td width="124" valign="top"><p> </p></td> | ||
<td width="84" valign="top"><p>136-137</p></td> | <td width="84" valign="top"><p>136-137</p></td> | ||
<td width="99" valign="top"><p> | <td width="99" valign="top"><p>अन्तर्मु.</p></td> | ||
<td width="121" valign="top"><p>ज्ञान परिवर्तन </p></td> | <td width="121" valign="top"><p>ज्ञान परिवर्तन </p></td> | ||
<td width="119" valign="top"><p>कुछ कम अर्ध | <td width="119" valign="top"><p>कुछ कम अर्ध पु.परि.</p></td> | ||
<td width="164" valign="top"><p>सम्यक्त्व से मिथ्यात्व फिर सम्यक्त्व देव नारकी में उपरोक्त प्रकार </p></td> | <td width="164" valign="top"><p>सम्यक्त्व से मिथ्यात्व फिर सम्यक्त्व देव नारकी में उपरोक्त प्रकार </p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 101: | Line 101: | ||
<td width="84" valign="top"><p>139-140</p></td> | <td width="84" valign="top"><p>139-140</p></td> | ||
<td width="99" valign="top"><p>1 समय </p></td> | <td width="99" valign="top"><p>1 समय </p></td> | ||
<td width="121" valign="top"><p> | <td width="121" valign="top"><p>उप.सम्य. देव नारकीद्विती.समय सासा.हो मरे। </p></td> | ||
<td width="119" valign="top"><p> | <td width="119" valign="top"><p>अन्तर्मु.कम 33सा. </p></td> | ||
<td width="164" valign="top"><p> </p></td> | <td width="164" valign="top"><p> </p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> | ||
<td width="109" valign="top"><p>विभंग ( | <td width="109" valign="top"><p>विभंग (मनु.तिर्य.) </p></td> | ||
<td width="86" valign="top"><p> </p></td> | <td width="86" valign="top"><p> </p></td> | ||
<td width="113" valign="top"><p> </p></td> | <td width="113" valign="top"><p> </p></td> | ||
Line 132: | Line 132: | ||
<td width="124" valign="top"><p> </p></td> | <td width="124" valign="top"><p> </p></td> | ||
<td width="84" valign="top"><p>142-143</p></td> | <td width="84" valign="top"><p>142-143</p></td> | ||
<td width="99" valign="top"><p> | <td width="99" valign="top"><p>अन्तर्मु.</p></td> | ||
<td width="121" valign="top"><p>देव नारकी सम्यक्त्वी हो पुन: मिथ्या।</p></td> | <td width="121" valign="top"><p>देव नारकी सम्यक्त्वी हो पुन: मिथ्या।</p></td> | ||
<td width="119" valign="top"><p>66 सागर+4पूर्व | <td width="119" valign="top"><p>66 सागर+4पूर्व को.</p></td> | ||
<td width="164" valign="top"><p>(देखो काल/5) </p></td> | <td width="164" valign="top"><p>(देखो काल/5) </p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 148: | Line 148: | ||
<td width="124" valign="top"><p> </p></td> | <td width="124" valign="top"><p> </p></td> | ||
<td width="84" valign="top"><p>145-146</p></td> | <td width="84" valign="top"><p>145-146</p></td> | ||
<td width="99" valign="top"><p> | <td width="99" valign="top"><p>अन्तर्मु.</p></td> | ||
<td width="121" valign="top"><p>इतने काल पश्चात् मरण </p></td> | <td width="121" valign="top"><p>इतने काल पश्चात् मरण </p></td> | ||
<td width="119" valign="top"><p>8 वर्ष कम | <td width="119" valign="top"><p>8 वर्ष कम 1को.पू.</p></td> | ||
<td width="164" valign="top"><p>8 वर्ष में दीक्षा लेकर शेष उत्कृष्ट आयु पर्यन्त </p></td> | <td width="164" valign="top"><p>8 वर्ष में दीक्षा लेकर शेष उत्कृष्ट आयु पर्यन्त </p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
Line 164: | Line 164: | ||
<td width="124" valign="top"><p> </p></td> | <td width="124" valign="top"><p> </p></td> | ||
<td width="84" valign="top"><p>145-146 ( कषायपाहुड़ ) </p></td> | <td width="84" valign="top"><p>145-146 ( कषायपाहुड़ ) </p></td> | ||
<td width="99" valign="top"><p> | <td width="99" valign="top"><p>अन्तर्मु.</p></td> | ||
<td width="121" valign="top"><p>इतने काल पश्चात् मरण</p></td> | <td width="121" valign="top"><p>इतने काल पश्चात् मरण</p></td> | ||
<td width="119" valign="top"><p>अन्तर्मुहूर्त</p></td> | <td width="119" valign="top"><p>अन्तर्मुहूर्त</p></td> | ||
Line 196: | Line 196: | ||
<td width="124" valign="top"><p>263-264</p></td> | <td width="124" valign="top"><p>263-264</p></td> | ||
<td width="84" valign="top"><p> </p></td> | <td width="84" valign="top"><p> </p></td> | ||
<td width="99" valign="top"><p> | <td width="99" valign="top"><p>अन्तर्मु.</p></td> | ||
<td width="121" valign="top"><p>गुणस्थान परिवर्तन </p></td> | <td width="121" valign="top"><p>गुणस्थान परिवर्तन </p></td> | ||
<td width="119" valign="top"><p>33 सागर से | <td width="119" valign="top"><p>33 सागर से अन्तर्मु.कम अन्तर्मुहूर्त </p></td> | ||
<td width="164" valign="top"><p>सप्तम पृथिवी की अपेक्षा</p> | <td width="164" valign="top"><p>सप्तम पृथिवी की अपेक्षा</p> | ||
<p>मनुष्य तिर्यंच की अपेक्षा </p></td> | <p>मनुष्य तिर्यंच की अपेक्षा </p></td> | ||
Line 264: | Line 264: | ||
<td width="95" valign="top"><p>मूलोघवत् </p></td> | <td width="95" valign="top"><p>मूलोघवत् </p></td> | ||
<td width="125" valign="top"><p> —</p></td> | <td width="125" valign="top"><p> —</p></td> | ||
<td width="115" valign="top"><p>4 | <td width="115" valign="top"><p>4 अंत.कम 1 को.पू.</p></td> | ||
<td width="167" valign="top"><p>ओघ से 1 | <td width="167" valign="top"><p>ओघ से 1 अन्तर्मु.और भी कम है। क्योंकि सम्यक्त्व अवधि धारने में 1 अन्तर्मु. लगा </p></td> | ||
</tr> | </tr> | ||
<tr> | <tr> |
Revision as of 14:18, 20 July 2020
7. ज्ञान मार्गणा
मार्गणा |
गुणस्थान |
नाना जीवापेक्षया |
एक जीवापेक्षया |
||||||||||
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
प्रमाण |
जघन्य |
विशेष |
उत्कृष्ट |
विशेष |
||||
नं.1 |
नं.2 |
नं.1 |
नं.3 |
||||||||||
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
सू. |
सू. |
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
मति श्रुतअज्ञान |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
133-135 |
अनन्त |
अनादि अनन्त व अनादि सान्त |
अनन्त |
जघन्यवत् |
मति श्रुतज्ञान सादि सान्त |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
136-137 |
अन्तर्मु. |
ज्ञान परिवर्तन |
कुछ कम अर्ध पु.परि. |
सम्यक्त्व से मिथ्यात्व फिर सम्यक्त्व देव नारकी में उपरोक्त प्रकार |
विभंग सामान्य |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
139-140 |
1 समय |
उप.सम्य. देव नारकीद्विती.समय सासा.हो मरे। |
अन्तर्मु.कम 33सा. |
|
विभंग (मनु.तिर्य.) |
|
|
धवला/9/397 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
धवला/9/397 |
1 समय |
औदारिक शरीर की संघातनपरिशातन कृति |
अन्तर्मुहूर्त |
|
मतिश्रुत अवधिज्ञान |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
142-143 |
अन्तर्मु. |
देव नारकी सम्यक्त्वी हो पुन: मिथ्या। |
66 सागर+4पूर्व को. |
(देखो काल/5) |
मन:पर्यय |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
145-146 |
अन्तर्मु. |
इतने काल पश्चात् मरण |
8 वर्ष कम 1को.पू. |
8 वर्ष में दीक्षा लेकर शेष उत्कृष्ट आयु पर्यन्त |
केवलज्ञान |
|
|
31-32 |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
|
145-146 ( कषायपाहुड़ ) |
अन्तर्मु. |
इतने काल पश्चात् मरण |
अन्तर्मुहूर्त |
" (देखें दर्शन - 3.2) |
मतिश्रुत अज्ञान |
1-2 |
260-261 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
260-261 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
विभंग ज्ञान |
1 |
262 |
|
|
विच्छेदाभाव |
सर्वदा |
विच्छेदाभाव |
263-264 |
|
अन्तर्मु. |
गुणस्थान परिवर्तन |
33 सागर से अन्तर्मु.कम अन्तर्मुहूर्त |
सप्तम पृथिवी की अपेक्षा मनुष्य तिर्यंच की अपेक्षा |
|
2 |
265 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
265 |
— |
— |
मूलोघवत् |
— |
— |
मतिश्रुतज्ञान |
4-12 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
अवधिज्ञान |
1-4 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
|
5 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
— |
मूलोघवत् |
— |
4 अंत.कम 1 को.पू. |
ओघ से 1 अन्तर्मु.और भी कम है। क्योंकि सम्यक्त्व अवधि धारने में 1 अन्तर्मु. लगा |
|
6-12 |
266 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
266 |
|
— |
मूलोघवत् |
— |
|
मन:पर्यय |
6-12 |
267 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
267 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
केवल |
13-14 |
268 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|
268 |
|
|
मूलोघवत् |
|
|