चित्: Difference between revisions
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न्यायविनिश्चय/ वृ./1/8/148/9 <span class="SanskritText">चिदिति चिच्छक्तिरनुभव इत्यर्थ:।</span> =<span class="HindiText">चित् अर्थात् चित् शक्ति का अनुभव। </span> अनगारधर्मामृत/2/34/151 <span class="SanskritText">अन्वितमहमिकाया प्रतिनियतार्थावभासिबोधेषु। प्रतिभासमानमखिलैर्यद्रूपं वेद्यते सदा सा चित् ।</span> =<span class="HindiText">अन्वित और ‘अहम्’ इस प्रकार के संवेदन के द्वारा अपने स्वरूप को प्रकाशित करने वाले जिस रूप का सदा स्वयं अनुभव करते हैं उसी को चित् या चेतन कहते हैं।</span> | <span class="GRef"> न्यायविनिश्चय/ </span>वृ./1/8/148/9 <span class="SanskritText">चिदिति चिच्छक्तिरनुभव इत्यर्थ:।</span> =<span class="HindiText">चित् अर्थात् चित् शक्ति का अनुभव। </span><span class="GRef"> अनगारधर्मामृत/2/34/151 </span><span class="SanskritText">अन्वितमहमिकाया प्रतिनियतार्थावभासिबोधेषु। प्रतिभासमानमखिलैर्यद्रूपं वेद्यते सदा सा चित् ।</span> =<span class="HindiText">अन्वित और ‘अहम्’ इस प्रकार के संवेदन के द्वारा अपने स्वरूप को प्रकाशित करने वाले जिस रूप का सदा स्वयं अनुभव करते हैं उसी को चित् या चेतन कहते हैं।</span> | ||
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Revision as of 12:59, 14 October 2020
न्यायविनिश्चय/ वृ./1/8/148/9 चिदिति चिच्छक्तिरनुभव इत्यर्थ:। =चित् अर्थात् चित् शक्ति का अनुभव। अनगारधर्मामृत/2/34/151 अन्वितमहमिकाया प्रतिनियतार्थावभासिबोधेषु। प्रतिभासमानमखिलैर्यद्रूपं वेद्यते सदा सा चित् । =अन्वित और ‘अहम्’ इस प्रकार के संवेदन के द्वारा अपने स्वरूप को प्रकाशित करने वाले जिस रूप का सदा स्वयं अनुभव करते हैं उसी को चित् या चेतन कहते हैं।