धनदेव: Difference between revisions
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( महापुराण/ सर्ग/श्लोक) | ( महापुराण/ सर्ग/श्लोक) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह में स्थित पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के निवासी कुबेरदत्त नामक वणिक् का पुत्र था (11/14। चक्रवर्ती वज्रनाभि की निधियों में गृहपति नाम का तेजस्वी रत्न हुआ।11/57। चक्रवर्ती के साथ-साथ इन्होंने भी दीक्षा धारण कर ली।11/61-62। | ||
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<p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के अंग देश में | <p id="1"> (1) भरतक्षेत्र के अंग देश में चंपा नगरी का एक वैश्य । इसकी अशोकदत्ता नाम की स्त्री थी तथा इससे इसके जिनदेव और जिनदत्त नामक दो पुत्र हुए थे । <span class="GRef"> महापुराण 72. 227, 244-245, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 24.26 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वृषभ-देव के छठे गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12. 56 </span></p> | <p id="2">(2) वृषभ-देव के छठे गणधर । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 12. 56 </span></p> | ||
<p id="3">(3) एक वैश्य, कुमारदेव का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.50-51 </span></p> | <p id="3">(3) एक वैश्य, कुमारदेव का पिता । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 46.50-51 </span></p> | ||
<p id="4">(4) भरतक्षेत्र के इभ्यपुर का सेठ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.95 </span></p> | <p id="4">(4) भरतक्षेत्र के इभ्यपुर का सेठ । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 60.95 </span></p> | ||
<p id="5">(5) | <p id="5">(5) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी-नगरी के निवासी कुबेरदत्त-वणिक् तथा उसकी स्त्री अनंतमती का पुत्र । यह राजा वज्रनाभि का गृहपति रत्न था । इसने वज्रसेन मुनि के पास जिनदीक्षा ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 11. 8-9, 14. 57, 62 </span></p> | ||
<p id="6">(6) | <p id="6">(6) अवंति-देश की उज्जयिनी-नगरी का निवासी एक सेठ, नागदत्त का पिता । <span class="GRef"> महापुराण 75.95-96 </span></p> | ||
<p id="7">(7) वाराणसी नगरी का एक वैश्य । परधन-हरने में सलंग्न अपने | <p id="7">(7) वाराणसी नगरी का एक वैश्य । परधन-हरने में सलंग्न अपने शांतव और रमण नामक पुत्रों को रोकने मे समर्थ न हो सकने से इसने मुनिदीक्षा ले ली थी । <span class="GRef"> महापुराण 76, 319-321 </span></p> | ||
Revision as of 16:25, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == ( महापुराण/ सर्ग/श्लोक) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह में स्थित पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी के निवासी कुबेरदत्त नामक वणिक् का पुत्र था (11/14। चक्रवर्ती वज्रनाभि की निधियों में गृहपति नाम का तेजस्वी रत्न हुआ।11/57। चक्रवर्ती के साथ-साथ इन्होंने भी दीक्षा धारण कर ली।11/61-62।
पुराणकोष से
(1) भरतक्षेत्र के अंग देश में चंपा नगरी का एक वैश्य । इसकी अशोकदत्ता नाम की स्त्री थी तथा इससे इसके जिनदेव और जिनदत्त नामक दो पुत्र हुए थे । महापुराण 72. 227, 244-245, पांडवपुराण 24.26
(2) वृषभ-देव के छठे गणधर । हरिवंशपुराण 12. 56
(3) एक वैश्य, कुमारदेव का पिता । हरिवंशपुराण 46.50-51
(4) भरतक्षेत्र के इभ्यपुर का सेठ । हरिवंशपुराण 60.95
(5) जंबूद्वीप के पूर्व विदेह क्षेत्र में पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी-नगरी के निवासी कुबेरदत्त-वणिक् तथा उसकी स्त्री अनंतमती का पुत्र । यह राजा वज्रनाभि का गृहपति रत्न था । इसने वज्रसेन मुनि के पास जिनदीक्षा ली थी । महापुराण 11. 8-9, 14. 57, 62
(6) अवंति-देश की उज्जयिनी-नगरी का निवासी एक सेठ, नागदत्त का पिता । महापुराण 75.95-96
(7) वाराणसी नगरी का एक वैश्य । परधन-हरने में सलंग्न अपने शांतव और रमण नामक पुत्रों को रोकने मे समर्थ न हो सकने से इसने मुनिदीक्षा ले ली थी । महापुराण 76, 319-321