निरनुयोज्यानुपेक्षण: Difference between revisions
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न्यायदर्शन सूत्र/ मू./5/2/22 <span class="SanskritText">अनिग्रहस्थाने निग्रहस्थानाभियोगो निरनुयोज्यानुयोग:।22। </span>=<span class="HindiText">निग्रहस्थान नहीं उठाने के अवसर पर निग्रहस्थान का उठा देना वक्ता का ‘निरनुयोज्यानुयोग’ नामक निग्रहस्थान है। <strong>नोट</strong>–( श्लोकवार्तिक 4/1/33/ न्या.श्लो.262-263)–में इसका निराकरण किया है।</span> | <span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>मू./5/2/22 <span class="SanskritText">अनिग्रहस्थाने निग्रहस्थानाभियोगो निरनुयोज्यानुयोग:।22। </span>=<span class="HindiText">निग्रहस्थान नहीं उठाने के अवसर पर निग्रहस्थान का उठा देना वक्ता का ‘निरनुयोज्यानुयोग’ नामक निग्रहस्थान है। <strong>नोट</strong>–(<span class="GRef"> श्लोकवार्तिक 4/1/33/ </span>न्या.श्लो.262-263)–में इसका निराकरण किया है।</span> | ||
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Revision as of 13:00, 14 October 2020
न्यायदर्शन सूत्र/ मू./5/2/22 अनिग्रहस्थाने निग्रहस्थानाभियोगो निरनुयोज्यानुयोग:।22। =निग्रहस्थान नहीं उठाने के अवसर पर निग्रहस्थान का उठा देना वक्ता का ‘निरनुयोज्यानुयोग’ नामक निग्रहस्थान है। नोट–( श्लोकवार्तिक 4/1/33/ न्या.श्लो.262-263)–में इसका निराकरण किया है।