महासेन: Difference between revisions
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<p id="2">(2) | <p id="2">(2) जरासंध का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 52.38 </span></p> | ||
<p id="3">(3) कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा का भाई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.25 </span></p> | <p id="3">(3) कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा का भाई । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 44.25 </span></p> | ||
<p id="4">(4) उग्रसेन के चाचा | <p id="4">(4) उग्रसेन के चाचा शांतनु का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.40 </span></p> | ||
<p id="5">(5) कृष्ण का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.70, 50. 131 </span></p> | <p id="5">(5) कृष्ण का पुत्र । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 48.70, 50. 131 </span></p> | ||
<p id="6">(6) रविषेणाचार्य के पूर्व हुए एक कवि-आचार्य । ये सुलोचना कथा के लेखक थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.33 </span></p> | <p id="6">(6) रविषेणाचार्य के पूर्व हुए एक कवि-आचार्य । ये सुलोचना कथा के लेखक थे । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 1.33 </span></p> | ||
<p id="7">(7) भरतक्षेत्र मै स्थित | <p id="7">(7) भरतक्षेत्र मै स्थित चंद्रपुर नगर का राजा । यह इक्ष्वाकुवंशी और काश्यपगोत्री चंद्रप्रभ तीर्थंकर का पिता था । इसकी रानी का नाम लक्ष्मणा था । <span class="GRef"> महापुराण 54.163-164, 173, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 20. 44 </span></p> | ||
<p id="8">(8) | <p id="8">(8) धातकीखंड द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी का राजा । वसुंधरा इसकी रानी तथा जयसेन पुत्र था । <span class="GRef"> महापुराण 7.84-86 </span></p> | ||
<p id="9">(9) चक्रवर्ती हरिषेण का पुत्र । हरिषेण इसे ही राज्य देकर संयमी हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 67.84-86 </span></p> | <p id="9">(9) चक्रवर्ती हरिषेण का पुत्र । हरिषेण इसे ही राज्य देकर संयमी हुआ था । <span class="GRef"> महापुराण 67.84-86 </span></p> | ||
<p id="10">(10) विजया पर्वत की उत्तरदिशा में स्थित अलका नगरी के राजा हरिबल का भाई और भूतिलक का अग्रज । इसके स्त्री | <p id="10">(10) विजया पर्वत की उत्तरदिशा में स्थित अलका नगरी के राजा हरिबल का भाई और भूतिलक का अग्रज । इसके स्त्री सुंदरी से उग्रसेन और वरसेन नाम के दो पुत्र तथा वसुंधरा नाम की एक कन्या हुई थी इसने व्यंतर देवताओं को युद्ध में जीतकर एक सुंदर नगर को अपनी आवासभूमि बनाया था । अपने भाई हरिबल के पुत्र भीमक को इसने पराजित कर उसे पहले तो बंधनों में रखा फिर शांत होने पर उसे मुक्त कर दिया । भीमक अपनी पराजय भूल नहीं सका । उसने उसका राज्य लौटा दिया और राक्षसी विद्या सिद्ध कर इसे मार डाला । <span class="GRef"> महापुराण 76.262-280 </span></p> | ||
<p id="11">(11) | <p id="11">(11) तीर्थंकर पार्श्वनाथ का मुख्य प्रश्नकर्ता । <span class="GRef"> महापुराण 76.532 </span></p> | ||
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Revision as of 16:32, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- भोजक वृष्णि का पुत्र उग्रसेन का भाई–( हरिवंशपुराण/18/16 )।
- यादववंशी कृष्ण का दसवाँ पुत्र–देखें इतिहास - 7.10।
- सुलोचनाचरित्र के रचयिता एक दिगंबराचार्य। समय (ई. श. 8 का अंत 9 का पूर्व ); ( हरिवंशपुराण/ प्र./7/पं. पन्नालाल )।
पुराणकोष से
(1) भोजकवृष्णि और रानी पद्मावती का दूसरा पुत्र । यह उग्रसेन का अनुज और देवसेन का अग्रज था । महापुराण 70. 100, हरिवंशपुराण 18.16
(2) जरासंध का पुत्र । हरिवंशपुराण 52.38
(3) कृष्ण की पटरानी लक्ष्मणा का भाई । हरिवंशपुराण 44.25
(4) उग्रसेन के चाचा शांतनु का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.40
(5) कृष्ण का पुत्र । हरिवंशपुराण 48.70, 50. 131
(6) रविषेणाचार्य के पूर्व हुए एक कवि-आचार्य । ये सुलोचना कथा के लेखक थे । हरिवंशपुराण 1.33
(7) भरतक्षेत्र मै स्थित चंद्रपुर नगर का राजा । यह इक्ष्वाकुवंशी और काश्यपगोत्री चंद्रप्रभ तीर्थंकर का पिता था । इसकी रानी का नाम लक्ष्मणा था । महापुराण 54.163-164, 173, पद्मपुराण 20. 44
(8) धातकीखंड द्वीप के पूर्वविदेहक्षेत्र में स्थित वत्सकावती देश की प्रभाकरी नगरी का राजा । वसुंधरा इसकी रानी तथा जयसेन पुत्र था । महापुराण 7.84-86
(9) चक्रवर्ती हरिषेण का पुत्र । हरिषेण इसे ही राज्य देकर संयमी हुआ था । महापुराण 67.84-86
(10) विजया पर्वत की उत्तरदिशा में स्थित अलका नगरी के राजा हरिबल का भाई और भूतिलक का अग्रज । इसके स्त्री सुंदरी से उग्रसेन और वरसेन नाम के दो पुत्र तथा वसुंधरा नाम की एक कन्या हुई थी इसने व्यंतर देवताओं को युद्ध में जीतकर एक सुंदर नगर को अपनी आवासभूमि बनाया था । अपने भाई हरिबल के पुत्र भीमक को इसने पराजित कर उसे पहले तो बंधनों में रखा फिर शांत होने पर उसे मुक्त कर दिया । भीमक अपनी पराजय भूल नहीं सका । उसने उसका राज्य लौटा दिया और राक्षसी विद्या सिद्ध कर इसे मार डाला । महापुराण 76.262-280
(11) तीर्थंकर पार्श्वनाथ का मुख्य प्रश्नकर्ता । महापुराण 76.532