यक्षलिक: Difference between revisions
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<span class="GRef"> हरिवंशपुराण/33/ </span>श्लोक मलयदेश में यक्षदत्त का पुत्र था। एक बार एक सर्पिणी को गाड़ी के पहिये के नीचे दबाकर मार दिया। (159-160)। यह श्रीकृष्ण का पूर्व का तीसरा भव है।−देखें [[ कृष्ण ]]। | |||
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Revision as of 13:01, 14 October 2020
== सिद्धांतकोष से == हरिवंशपुराण/33/ श्लोक मलयदेश में यक्षदत्त का पुत्र था। एक बार एक सर्पिणी को गाड़ी के पहिये के नीचे दबाकर मार दिया। (159-160)। यह श्रीकृष्ण का पूर्व का तीसरा भव है।−देखें कृष्ण ।
पुराणकोष से
कृष्ण के तीसरे पूर्वभव का जीव-भरतक्षेत्र के मलय देश में पलाशनगर के यक्षदत्त और उसकी पत्नी यक्षिक का छोटा पुत्र । यक्षस्व का यह छोटा भाई था । इसका अपर नाम यक्षिल था । हरिवंशपुराण 33. 157-162, देखें यक्ष - 5
पलाशकूट ग्राम के वैश्य यक्षदत्त का भेयेष्ट पुत्र । इसका दूसरा नाम यक्ष था । हरिवंशपुराण 33. 157-158, देखें यक्ष - 5