अनुत्तरोपपादक: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p class="SanskritText">धवला पुस्तक 1/1,1,2/104/1 अनुत्तरेष्वोपपादिकाः अनुत्तरौपपादिकाः। </p> | |||
<p class="HindiText">= जो अनुत्तरों में उपपाद जन्म से पैदा होते हैं, उन्हें अनुत्तरोपपादिक कहते हैं।</p> | |||
<p>1. भगवान् वीर के तीर्थमें दश अनुत्तरोपपादकों का निर्देश</p> | |||
<p class="SanskritText">धवला पुस्तक 1,1,2/140/2 ऋषिदास-धन्य-सुनक्षत्र-कार्त्तिकेयानन्द-नन्दन-शालिभद्राभय वारिषेण-चिलातपुत्रा इत्येते दश वर्द्धमानतीर्थकरतीर्थे। </p> | |||
<p class="HindiText">= ऋषिदास, धन्य, सुनक्षत्र, कार्त्तिकेय, आनन्द, नन्दन, शालिभद्र, अभय, वारिषेण और चिलातपुत्र ये दश अनुत्तरौपपादिक वर्धमान तीर्थंकर के तीर्थ में हुए हैं।</p> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 22:36, 22 July 2020
धवला पुस्तक 1/1,1,2/104/1 अनुत्तरेष्वोपपादिकाः अनुत्तरौपपादिकाः।
= जो अनुत्तरों में उपपाद जन्म से पैदा होते हैं, उन्हें अनुत्तरोपपादिक कहते हैं।
1. भगवान् वीर के तीर्थमें दश अनुत्तरोपपादकों का निर्देश
धवला पुस्तक 1,1,2/140/2 ऋषिदास-धन्य-सुनक्षत्र-कार्त्तिकेयानन्द-नन्दन-शालिभद्राभय वारिषेण-चिलातपुत्रा इत्येते दश वर्द्धमानतीर्थकरतीर्थे।
= ऋषिदास, धन्य, सुनक्षत्र, कार्त्तिकेय, आनन्द, नन्दन, शालिभद्र, अभय, वारिषेण और चिलातपुत्र ये दश अनुत्तरौपपादिक वर्धमान तीर्थंकर के तीर्थ में हुए हैं।