अर्हदत्त सेठ: Difference between revisions
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( पद्मपुराण सर्ग/श्लो.नं.) वर्षायोगमें आहारार्थ पधारे गगन विहारी मुनियोंको ढोंगी जानकर उन्हें आहार न दिया। पीछे आचार्यके द्वारा भूल सुझाई जानेपर बहुत पश्चात्ताप किया/(92/20-31)। फिर मथुरा जाकर उक्त मुनियोंको आहार देकर सन्तुष्ट हुआ। (92/42)। | <p>( पद्मपुराण सर्ग/श्लो.नं.) वर्षायोगमें आहारार्थ पधारे गगन विहारी मुनियोंको ढोंगी जानकर उन्हें आहार न दिया। पीछे आचार्यके द्वारा भूल सुझाई जानेपर बहुत पश्चात्ताप किया/(92/20-31)। फिर मथुरा जाकर उक्त मुनियोंको आहार देकर सन्तुष्ट हुआ। (92/42)।</p> | ||
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Revision as of 22:37, 22 July 2020
( पद्मपुराण सर्ग/श्लो.नं.) वर्षायोगमें आहारार्थ पधारे गगन विहारी मुनियोंको ढोंगी जानकर उन्हें आहार न दिया। पीछे आचार्यके द्वारा भूल सुझाई जानेपर बहुत पश्चात्ताप किया/(92/20-31)। फिर मथुरा जाकर उक्त मुनियोंको आहार देकर सन्तुष्ट हुआ। (92/42)।