अभिषव: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या ७/३५/३७१ द्रवो वृष्यो वाभिषवः।< | <p class="SanskritPrakritSentence">[[सर्वार्थसिद्धि]] अध्याय संख्या ७/३५/३७१ द्रवो वृष्यो वाभिषवः।</p> | ||
<p class="HindiSentence">= द्रव, वृष्य और अभिषव इनका एक अर्थ है।</p> | <p class="HindiSentence">= द्रव, वृष्य और अभिषव इनका एक अर्थ है।</p> | ||
([[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ७/३५/५/५५८)।<br> | ([[राजवार्तिक | राजवार्तिक]] अध्याय संख्या ७/३५/५/५५८)।<br> |
Revision as of 21:16, 24 May 2009
सर्वार्थसिद्धि अध्याय संख्या ७/३५/३७१ द्रवो वृष्यो वाभिषवः।
= द्रव, वृष्य और अभिषव इनका एक अर्थ है।
( राजवार्तिक अध्याय संख्या ७/३५/५/५५८)।