अमोघवर्ष: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
< | <p>1. अमोघवर्ष प्रथम-मान्यखेटके राजा जगत्तुङ्ग (गोविन्द तृ.) के पुत्र थे। पिताके पश्चात् राज्यारूढ़ हुए। बड़े पराक्रमी थे। इन्होंने अपने चाचा इन्द्रराजके पुत्र कर्कराजकी सहायता से श.सं.757 में लाट देशके राजा ध्रुव राजाको जीतकर उसका देश भी अपने राज्यमें मिला लिया था। इनका राज्य समस्त राष्ट्रकूटमें फैला हुआ था। आप जिनधर्मवत्सल थे। आचार्य भगवज्जिनसेनाचार्य (महापुराणके कर्ता) के शिष्य थे। इसीलिए पिछली अवस्थामें राज्य छोड़कर उन्होंने वैराग्य ले लिया था। इनका बचपनका नाम `बाछणराय' था तथा उपाधि `नृपतुंग' थी। `गोविन्दचतुर्थ' भी इन्हें ही कहते हैं। अकालवर्ष (कृष्ण द्वि.) इनका पुत्र था। इन्होंने एक `प्रश्नोत्तरमाला' नामक ग्रन्थ भी लिखा है। समय-निश्चितरूपसे आपका समय श.सं.736-800; वि.873-935; ई.814-878 है। विशेष देखो-इतिहास/3,5। ( आत्मानुशासन / प्रस्तावना/A.N.Upa.) ( षट्खण्डागम पुस्तक 1 प्र./A.N.Upa) षट्खण्डागम पुस्तक 1/प्र.39/H.L.Jain) ( कषायपाहुड़ पुस्तक 1/प्र.73/पं.महेन्द्रकुमार); ( ज्ञानार्णव / प्रस्तावना 7/पं.पन्नालाल बाकलीवाल); ( महापुराण / प्रस्तावना 41/पं.पन्नालाल बाकलीवाल)। 2. अमोघवर्ष द्वितीय-अमोघवर्ष प्र.के पुत्र अकालवर्ष (कृष्णराज द्वितीय) का नाम ही अमोघवर्ष दि. था-देखें [[ इतिहास#3.5 | इतिहास - 3.5]], 3. अमोघवर्ष तृतीय-अकाल वर्ष के पुत्र कृष्णराज तृतीयका नाम ही अमोघवर्ष तृथीय था। देखें [[ कृष्णराज तृतीय ]]इतिहास/3/5।</p> | ||
[[ | <noinclude> | ||
[[ अमोघ | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ | |||
[[ अयन | अगला पृष्ठ ]] | |||
[[Category: | </noinclude> | ||
[[Category: अ]] |
Revision as of 16:56, 10 June 2020
1. अमोघवर्ष प्रथम-मान्यखेटके राजा जगत्तुङ्ग (गोविन्द तृ.) के पुत्र थे। पिताके पश्चात् राज्यारूढ़ हुए। बड़े पराक्रमी थे। इन्होंने अपने चाचा इन्द्रराजके पुत्र कर्कराजकी सहायता से श.सं.757 में लाट देशके राजा ध्रुव राजाको जीतकर उसका देश भी अपने राज्यमें मिला लिया था। इनका राज्य समस्त राष्ट्रकूटमें फैला हुआ था। आप जिनधर्मवत्सल थे। आचार्य भगवज्जिनसेनाचार्य (महापुराणके कर्ता) के शिष्य थे। इसीलिए पिछली अवस्थामें राज्य छोड़कर उन्होंने वैराग्य ले लिया था। इनका बचपनका नाम `बाछणराय' था तथा उपाधि `नृपतुंग' थी। `गोविन्दचतुर्थ' भी इन्हें ही कहते हैं। अकालवर्ष (कृष्ण द्वि.) इनका पुत्र था। इन्होंने एक `प्रश्नोत्तरमाला' नामक ग्रन्थ भी लिखा है। समय-निश्चितरूपसे आपका समय श.सं.736-800; वि.873-935; ई.814-878 है। विशेष देखो-इतिहास/3,5। ( आत्मानुशासन / प्रस्तावना/A.N.Upa.) ( षट्खण्डागम पुस्तक 1 प्र./A.N.Upa) षट्खण्डागम पुस्तक 1/प्र.39/H.L.Jain) ( कषायपाहुड़ पुस्तक 1/प्र.73/पं.महेन्द्रकुमार); ( ज्ञानार्णव / प्रस्तावना 7/पं.पन्नालाल बाकलीवाल); ( महापुराण / प्रस्तावना 41/पं.पन्नालाल बाकलीवाल)। 2. अमोघवर्ष द्वितीय-अमोघवर्ष प्र.के पुत्र अकालवर्ष (कृष्णराज द्वितीय) का नाम ही अमोघवर्ष दि. था-देखें इतिहास - 3.5, 3. अमोघवर्ष तृतीय-अकाल वर्ष के पुत्र कृष्णराज तृतीयका नाम ही अमोघवर्ष तृथीय था। देखें कृष्णराज तृतीय इतिहास/3/5।