अन्योन्याश्रय हेत्वाभास: Difference between revisions
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Revision as of 00:44, 17 August 2020
श्लोकवार्तिक पुस्तक 4/न्या.459/555/6/ भाषाकार "परस्पर में धारावाही रूप से एक-दूसरे की अपेक्षा लागू रहना अन्योन्याश्रय है" (जिसे खटके के ताले की चाबी तो आलमारी में रह गयी और बाहर से ताला बन्द हो गया। तब चाबी निकले तो ताला खुले और ताला खुले तो चाबी निकले, ऐसी परस्पर की अपेक्षा लागू होती है।)