अंगज्ञान: Difference between revisions
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<span class="SanskritText"><span class="GRef"> सर्वार्थसिद्धि/1/20/123/2 </span>अंगबाह्यमंगप्रविष्टमिति।</span> =<span class="HindiText">1. श्रुतज्ञान के दो भेद अंग बाह्य व अंग प्रविष्ट ये दो भेद हैं। (<span class="GRef"> राजवार्तिक/1/20/11/72/23 </span>); (<span class="GRef"> कषायपाहुड़ 1/1-1/17/25/1 </span>); (<span class="GRef"> धवला 1/1,1,2/96/6 </span>); (<span class="GRef"> धवला 1/1,1,115/357/8 </span>); (<span class="GRef"> धवला 9/4,1,45/187/12 </span>)। 2. अथवा अनेक भेद और बारह भेद हैं।</span></p> | |||
- विस्तार के लिये देंखें [[ श्रुतज्ञान#III | श्रुतज्ञान - III]]।<br> | |||
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अंतरिक्ष, भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, छिन्न और स्वप्न ये आठ निमित्त होते हैं । इनके द्वारा भावी शुभाशुभ जाना जाता है ।</p> | |||
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Revision as of 14:08, 1 November 2022
1. श्रुतज्ञान का एक विकल्प
तत्त्वार्थसूत्र/1/20 श्रुतं...द्वयनेकद्वादशभेदम् ।20।
सर्वार्थसिद्धि/1/20/123/2 अंगबाह्यमंगप्रविष्टमिति। =1. श्रुतज्ञान के दो भेद अंग बाह्य व अंग प्रविष्ट ये दो भेद हैं। ( राजवार्तिक/1/20/11/72/23 ); ( कषायपाहुड़ 1/1-1/17/25/1 ); ( धवला 1/1,1,2/96/6 ); ( धवला 1/1,1,115/357/8 ); ( धवला 9/4,1,45/187/12 )। 2. अथवा अनेक भेद और बारह भेद हैं।
- विस्तार के लिये देंखें श्रुतज्ञान - III।
2. अष्टांग निमित्तज्ञान
अंतरिक्ष, भौम, अंग, स्वर, व्यंजन, लक्षण, छिन्न और स्वप्न ये आठ निमित्त होते हैं । इनके द्वारा भावी शुभाशुभ जाना जाता है ।