कारुण्य: Difference between revisions
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<p> संवेग और वैराग्य के लिए साधनभूत तथा अहिंसा के लिए आवश्यक मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ इन चार भावनाओं में तृतीय भावना । इसमें दीन-दु:खी जीवों पर दया के भाव होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 20-65 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> संवेग और वैराग्य के लिए साधनभूत तथा अहिंसा के लिए आवश्यक मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ इन चार भावनाओं में तृतीय भावना । इसमें दीन-दु:खी जीवों पर दया के भाव होते हैं । <span class="GRef"> महापुराण 20-65 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें करुणा ।
पुराणकोष से
संवेग और वैराग्य के लिए साधनभूत तथा अहिंसा के लिए आवश्यक मैत्री, प्रमोद, कारुण्य और माध्यस्थ इन चार भावनाओं में तृतीय भावना । इसमें दीन-दु:खी जीवों पर दया के भाव होते हैं । महापुराण 20-65