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<p id="3">(3) भरतक्षेत्र का एक मिथ्यादृष्टि ब्राह्मण । अर्हद्दास के सदुपदेश से यह सम्यक्त्वी हो गया था । | <p id="3">(3) भरतक्षेत्र का एक मिथ्यादृष्टि ब्राह्मण । अर्हद्दास के सदुपदेश से यह सम्यक्त्वी हो गया था । अंत में समाधिपूर्वक मरण करके व्रताचरण से उत्पन्न पुण्य के प्रभाव से यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ और स्वर्ग से चयकर राजा श्रेणिक का अभयकुमार नामक पुत्र हुआ । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 19. 170-203 </span></p> | ||
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Revision as of 16:39, 19 August 2020
== सिद्धांतकोष से == कुंडल पर्वतस्थ स्फटिक कूट का स्वामी नागेंद्र-देव.देखें लोक - 5.12।
पुराणकोष से
(1) एक राजा । इसने तीर्थंकर वासुपूज्य को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । महापुराण 58.40-41
(2) कुंडलगिरि के उत्तरदिशा संबंधी स्फटिककूट का निवासी एक देव । हरिवंशपुराण 5.694
(3) भरतक्षेत्र का एक मिथ्यादृष्टि ब्राह्मण । अर्हद्दास के सदुपदेश से यह सम्यक्त्वी हो गया था । अंत में समाधिपूर्वक मरण करके व्रताचरण से उत्पन्न पुण्य के प्रभाव से यह सौधर्म स्वर्ग में देव हुआ और स्वर्ग से चयकर राजा श्रेणिक का अभयकुमार नामक पुत्र हुआ । वीरवर्द्धमान चरित्र 19. 170-203