अनुंधर: Difference between revisions
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<p> भरतक्षेत्र में स्थित अरिष्टपुर नगर के राजा प्रियव्रत और उसकी प्रथन रानी कांचनाभा का पुत्र । इसके रत्नरथ और विचित्ररथ नाम के दो भाई और थे जो राजा की दूसरी रानी पद्मावती के पुत्र थे । श्रीप्रभा नाम की कन्या के कारण रत्नरथ और इसके बीच युद्ध हुआ । पराजित हो जाने से इसे रत्नरथ द्वारा देश से निकाल दिया गया था । इसके बाद यह जटाजूटधारी तापस बन गया । चिरकाल तक राज्य भोगकर रत्नरथ और विचित्ररथ दोनों तो मरे और सिद्धार्थ नगर के राजा क्षेमकर के पुत्र देशभूषण और कुलभूषण हुए । इधर यह तापस विलासिनी मदना की पुत्री नागदत्ता द्वारा प्रेमपाश में फँसाया गया और राजा द्वारा अपमानित हुआ । अंत में मरकर यह वह्निप्रभ नामक देव हुआ । अवधिज्ञान से क्षेमंकर के पुत्र देशभूषण और कुलभूषण को अपना पूर्वभव का वैरी जान कर यह उनके समीप उपसर्ग करने गया था किंतु उनके चरमशरीरी होने के कारण तथा राम और लक्ष्मण द्वारा उपसर्ग दूर किये जाने से देशभूषण और कुलभूषण तो केवली हुए और यह इंद्र के भय से शीघ्र ही तिरोहित हो गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 39.148-225 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> भरतक्षेत्र में स्थित अरिष्टपुर नगर के राजा प्रियव्रत और उसकी प्रथन रानी कांचनाभा का पुत्र । इसके रत्नरथ और विचित्ररथ नाम के दो भाई और थे जो राजा की दूसरी रानी पद्मावती के पुत्र थे । श्रीप्रभा नाम की कन्या के कारण रत्नरथ और इसके बीच युद्ध हुआ । पराजित हो जाने से इसे रत्नरथ द्वारा देश से निकाल दिया गया था । इसके बाद यह जटाजूटधारी तापस बन गया । चिरकाल तक राज्य भोगकर रत्नरथ और विचित्ररथ दोनों तो मरे और सिद्धार्थ नगर के राजा क्षेमकर के पुत्र देशभूषण और कुलभूषण हुए । इधर यह तापस विलासिनी मदना की पुत्री नागदत्ता द्वारा प्रेमपाश में फँसाया गया और राजा द्वारा अपमानित हुआ । अंत में मरकर यह वह्निप्रभ नामक देव हुआ । अवधिज्ञान से क्षेमंकर के पुत्र देशभूषण और कुलभूषण को अपना पूर्वभव का वैरी जान कर यह उनके समीप उपसर्ग करने गया था किंतु उनके चरमशरीरी होने के कारण तथा राम और लक्ष्मण द्वारा उपसर्ग दूर किये जाने से देशभूषण और कुलभूषण तो केवली हुए और यह इंद्र के भय से शीघ्र ही तिरोहित हो गया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 39.148-225 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
भरतक्षेत्र में स्थित अरिष्टपुर नगर के राजा प्रियव्रत और उसकी प्रथन रानी कांचनाभा का पुत्र । इसके रत्नरथ और विचित्ररथ नाम के दो भाई और थे जो राजा की दूसरी रानी पद्मावती के पुत्र थे । श्रीप्रभा नाम की कन्या के कारण रत्नरथ और इसके बीच युद्ध हुआ । पराजित हो जाने से इसे रत्नरथ द्वारा देश से निकाल दिया गया था । इसके बाद यह जटाजूटधारी तापस बन गया । चिरकाल तक राज्य भोगकर रत्नरथ और विचित्ररथ दोनों तो मरे और सिद्धार्थ नगर के राजा क्षेमकर के पुत्र देशभूषण और कुलभूषण हुए । इधर यह तापस विलासिनी मदना की पुत्री नागदत्ता द्वारा प्रेमपाश में फँसाया गया और राजा द्वारा अपमानित हुआ । अंत में मरकर यह वह्निप्रभ नामक देव हुआ । अवधिज्ञान से क्षेमंकर के पुत्र देशभूषण और कुलभूषण को अपना पूर्वभव का वैरी जान कर यह उनके समीप उपसर्ग करने गया था किंतु उनके चरमशरीरी होने के कारण तथा राम और लक्ष्मण द्वारा उपसर्ग दूर किये जाने से देशभूषण और कुलभूषण तो केवली हुए और यह इंद्र के भय से शीघ्र ही तिरोहित हो गया था । पद्मपुराण 39.148-225