अपायविचय: Difference between revisions
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<p> धर्म-ध्यान के दस भेदों में प्रथम भेद । अपाय का अर्थ त्याग है, और विचय का अर्थ मीमांसा है । मन, वचन और काय इन तीन योगों की प्रवृत्ति ही संसार का कारण है, अत: इन प्रवृत्तियों का किस प्रकार त्याग हो और जीव संसार से कैसे मुक्त हो ऐसा शुभ लेश्या से अनुरंजित चिंतन अपाय-विचय है । <span class="GRef"> महापुराण 21.141 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 56.37-40 </span>देखें [[ धर्मध्यान ]]</p> | <div class="HindiText"> <p> धर्म-ध्यान के दस भेदों में प्रथम भेद । अपाय का अर्थ त्याग है, और विचय का अर्थ मीमांसा है । मन, वचन और काय इन तीन योगों की प्रवृत्ति ही संसार का कारण है, अत: इन प्रवृत्तियों का किस प्रकार त्याग हो और जीव संसार से कैसे मुक्त हो ऐसा शुभ लेश्या से अनुरंजित चिंतन अपाय-विचय है । <span class="GRef"> महापुराण 21.141 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 56.37-40 </span>देखें [[ धर्मध्यान ]]</p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
धर्म-ध्यान के दस भेदों में प्रथम भेद । अपाय का अर्थ त्याग है, और विचय का अर्थ मीमांसा है । मन, वचन और काय इन तीन योगों की प्रवृत्ति ही संसार का कारण है, अत: इन प्रवृत्तियों का किस प्रकार त्याग हो और जीव संसार से कैसे मुक्त हो ऐसा शुभ लेश्या से अनुरंजित चिंतन अपाय-विचय है । महापुराण 21.141 हरिवंशपुराण 56.37-40 देखें धर्मध्यान