अमररक्ष: Difference between revisions
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<p> लंकाधिपति महारक्ष और उसकी रानी विमलाभा का ज्येष्ठ पुत्र, उदधिरक्ष और भानुरक्ष का बड़ा भाई देवरक्ष इसका अपरनाम था । इसने किन्नरगीत नगर निवासी राजा श्रीधर और उसकी रानी विद्या की पुत्री रति को विवाहा था । रति से इसके दस पुत्र और छ: पुत्रियां हुई थीं । अपने पिता महारक्ष से लंका का राज्य प्राप्त करने के पश्चात् इसने और इसके भाई भानुरक्ष दोनों ने अपने पुत्रों को राज्य दे दिया और ये दीक्षा लेकर महातप करने लगे । अंत में देह त्याग कर दोनों सिद्ध हुए । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5-214-244, 361-376 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> लंकाधिपति महारक्ष और उसकी रानी विमलाभा का ज्येष्ठ पुत्र, उदधिरक्ष और भानुरक्ष का बड़ा भाई देवरक्ष इसका अपरनाम था । इसने किन्नरगीत नगर निवासी राजा श्रीधर और उसकी रानी विद्या की पुत्री रति को विवाहा था । रति से इसके दस पुत्र और छ: पुत्रियां हुई थीं । अपने पिता महारक्ष से लंका का राज्य प्राप्त करने के पश्चात् इसने और इसके भाई भानुरक्ष दोनों ने अपने पुत्रों को राज्य दे दिया और ये दीक्षा लेकर महातप करने लगे । अंत में देह त्याग कर दोनों सिद्ध हुए । <span class="GRef"> पद्मपुराण 5-214-244, 361-376 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
लंकाधिपति महारक्ष और उसकी रानी विमलाभा का ज्येष्ठ पुत्र, उदधिरक्ष और भानुरक्ष का बड़ा भाई देवरक्ष इसका अपरनाम था । इसने किन्नरगीत नगर निवासी राजा श्रीधर और उसकी रानी विद्या की पुत्री रति को विवाहा था । रति से इसके दस पुत्र और छ: पुत्रियां हुई थीं । अपने पिता महारक्ष से लंका का राज्य प्राप्त करने के पश्चात् इसने और इसके भाई भानुरक्ष दोनों ने अपने पुत्रों को राज्य दे दिया और ये दीक्षा लेकर महातप करने लगे । अंत में देह त्याग कर दोनों सिद्ध हुए । पद्मपुराण 5-214-244, 361-376