आशाधर: Difference between revisions
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<OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> पं. लालाराम कृत सागारधर्मामृतका प्राक्कथन। जैन हितैषी पत्रमें प्रकाशित पं. जीके परिचयके आधारपर `आपका जन्म नागौरके पास सपादलक्ष (सवा लाख) देशमें माण्डलगढ नगरमें वि. १२३० में हुआ। बादशाह शहाबुद्दीन कृत अत्याचार के भयसे आप देश छोड़कर वि. १२४९ में मालवा देशकी धारा नगरमें जा बसे। उस समय वहाँके राजा विन्ध्यवर्माके मन्त्री विल्हण थे। उन्होंने उनका बहुत सत्कार किया। पीछे उनके पुत्र सुभट् वर्माका राज्य होनेपर आप वहाँसे छोड़कर १० मील दूर नलगच्छ ग्राममें चले गये। आपके पिताका नाम सल्लक्षण (सलखण) और माताका नाम श्री रत्नी था। आपकी जाति बघेरवल थी। धारा नगरीमें पं. महावीरसे आपने व्याकरणका ज्ञान प्राप्त किया और उच्च कोटिके विद्वान् हो गये, तथा पं. आशाधर नामसे प्रसिद्ध हुए। </LI> </OL> | |||
आपके अनेकों शिष्य हुए-१. प. देवचन्द्र; २. मुनि वादीन्द्र; ३. विशालकीर्ति; ४. भट्टारकदेवभद्र; ५. विनयभद्र; ६. मदनकीर्ति (उपाध्याय); ७. उदयसैन मुनि। | आपके अनेकों शिष्य हुए-१. प. देवचन्द्र; २. मुनि वादीन्द्र; ३. विशालकीर्ति; ४. भट्टारकदेवभद्र; ५. विनयभद्र; ६. मदनकीर्ति (उपाध्याय); ७. उदयसैन मुनि। <br> | ||
आप अनेकों विद्वानों व साधुओंके प्रशंसा-पात्र हुए हैं-१. धारा नगरीके राजा बिन्ध्यवर्माके मन्त्री विल्हण; २. दिगम्बर मुनि उदयसेनने आपका बहुत-बहुत अभिनन्दन किया है, और आपके शास्त्रोंको प्रमाण बताया है; ३. उपाध्याय मदनकीर्ति आदि इनके सभी शिष्योंने इनकी स्तुति की है। ([[अनगार धर्मामृत]] /प्रशस्ति) समय-वि.१२३०-१३०० (ई.११७३-१२४३) ([[पद्मनन्दि पंचविंशतिका]] / प्रस्तावना / ३४/A.N.up.) | आप अनेकों विद्वानों व साधुओंके प्रशंसा-पात्र हुए हैं-१. धारा नगरीके राजा बिन्ध्यवर्माके मन्त्री विल्हण; २. दिगम्बर मुनि उदयसेनने आपका बहुत-बहुत अभिनन्दन किया है, और आपके शास्त्रोंको प्रमाण बताया है; ३. उपाध्याय मदनकीर्ति आदि इनके सभी शिष्योंने इनकी स्तुति की है। ([[अनगार धर्मामृत]] /प्रशस्ति) समय-वि.१२३०-१३०० (ई.११७३-१२४३) ([[पद्मनन्दि पंचविंशतिका]] / प्रस्तावना / ३४/A.N.up.) <br> | ||
कृतियाँ - १. क्रिया कलाप (अमर कोश टीका-व्याकरण) संस्कृत, २. व्याख्यालङ्कार टीका (रुद्रट कृत काव्यालंकार टीका) सं., ३. प्रमेय रत्नाकर (न्याय) संस्कृत, ४. वाग्भट्ट संहिता (न्याय) संस्कृत, ५. भव्य कुमुद चन्द्रिका (न्याय) संस्कृत, ६. अध्यात्म रहस्य (अध्यात्म), ७. ईष्टोपदेश टीका (अध्यात्म) संस्कृत, ८. ज्ञान दीपिका संस्कृत, ९. अष्टाङ्ग हृदयोद्योत संस्कृत, १०. अनगार धर्मामृत (यत्याचार) संस्कृत, ११, मूलराधना (भगवती आराधनाकी टीका) संस्कृत, १२. सागार धर्मामृत (श्रावकाचार) संस्कृत, १३. भरतेश्वराभ्युदय काव्य संस्कृत, १४, त्रिषष्टि स्मृति शास्त्र संस्कृत, १५, राजमति विप्रलम्भ सटीक संस्कृत, १६. भूपाल चतुर्विंशतिका टीका संस्कृत, १७. जिनयज्ञ काव्य संस्कृत, १८, प्रतिष्टा पाठ संस्कृत, १९. सहस्र नाम स्तव संस्कृत. २०. रत्नत्रय विधान टीका संस्कृत। | कृतियाँ - १. क्रिया कलाप (अमर कोश टीका-व्याकरण) संस्कृत, २. व्याख्यालङ्कार टीका (रुद्रट कृत काव्यालंकार टीका) सं., ३. प्रमेय रत्नाकर (न्याय) संस्कृत, ४. वाग्भट्ट संहिता (न्याय) संस्कृत, ५. भव्य कुमुद चन्द्रिका (न्याय) संस्कृत, ६. अध्यात्म रहस्य (अध्यात्म), ७. ईष्टोपदेश टीका (अध्यात्म) संस्कृत, ८. ज्ञान दीपिका संस्कृत, ९. अष्टाङ्ग हृदयोद्योत संस्कृत, १०. अनगार धर्मामृत (यत्याचार) संस्कृत, ११, मूलराधना (भगवती आराधनाकी टीका) संस्कृत, १२. सागार धर्मामृत (श्रावकाचार) संस्कृत, १३. भरतेश्वराभ्युदय काव्य संस्कृत, १४, त्रिषष्टि स्मृति शास्त्र संस्कृत, १५, राजमति विप्रलम्भ सटीक संस्कृत, १६. भूपाल चतुर्विंशतिका टीका संस्कृत, १७. जिनयज्ञ काव्य संस्कृत, १८, प्रतिष्टा पाठ संस्कृत, १९. सहस्र नाम स्तव संस्कृत. २०. रत्नत्रय विधान टीका संस्कृत।<br> | ||
([[तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा]], पृष्ठ संख्या ४/४१); (जै.२/१२८)। | ([[तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा]], पृष्ठ संख्या ४/४१); (जै.२/१२८)।<br> | ||
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Revision as of 23:42, 8 May 2009
- पं. लालाराम कृत सागारधर्मामृतका प्राक्कथन। जैन हितैषी पत्रमें प्रकाशित पं. जीके परिचयके आधारपर `आपका जन्म नागौरके पास सपादलक्ष (सवा लाख) देशमें माण्डलगढ नगरमें वि. १२३० में हुआ। बादशाह शहाबुद्दीन कृत अत्याचार के भयसे आप देश छोड़कर वि. १२४९ में मालवा देशकी धारा नगरमें जा बसे। उस समय वहाँके राजा विन्ध्यवर्माके मन्त्री विल्हण थे। उन्होंने उनका बहुत सत्कार किया। पीछे उनके पुत्र सुभट् वर्माका राज्य होनेपर आप वहाँसे छोड़कर १० मील दूर नलगच्छ ग्राममें चले गये। आपके पिताका नाम सल्लक्षण (सलखण) और माताका नाम श्री रत्नी था। आपकी जाति बघेरवल थी। धारा नगरीमें पं. महावीरसे आपने व्याकरणका ज्ञान प्राप्त किया और उच्च कोटिके विद्वान् हो गये, तथा पं. आशाधर नामसे प्रसिद्ध हुए।
आपके अनेकों शिष्य हुए-१. प. देवचन्द्र; २. मुनि वादीन्द्र; ३. विशालकीर्ति; ४. भट्टारकदेवभद्र; ५. विनयभद्र; ६. मदनकीर्ति (उपाध्याय); ७. उदयसैन मुनि।
आप अनेकों विद्वानों व साधुओंके प्रशंसा-पात्र हुए हैं-१. धारा नगरीके राजा बिन्ध्यवर्माके मन्त्री विल्हण; २. दिगम्बर मुनि उदयसेनने आपका बहुत-बहुत अभिनन्दन किया है, और आपके शास्त्रोंको प्रमाण बताया है; ३. उपाध्याय मदनकीर्ति आदि इनके सभी शिष्योंने इनकी स्तुति की है। (अनगार धर्मामृत /प्रशस्ति) समय-वि.१२३०-१३०० (ई.११७३-१२४३) (पद्मनन्दि पंचविंशतिका / प्रस्तावना / ३४/A.N.up.)
कृतियाँ - १. क्रिया कलाप (अमर कोश टीका-व्याकरण) संस्कृत, २. व्याख्यालङ्कार टीका (रुद्रट कृत काव्यालंकार टीका) सं., ३. प्रमेय रत्नाकर (न्याय) संस्कृत, ४. वाग्भट्ट संहिता (न्याय) संस्कृत, ५. भव्य कुमुद चन्द्रिका (न्याय) संस्कृत, ६. अध्यात्म रहस्य (अध्यात्म), ७. ईष्टोपदेश टीका (अध्यात्म) संस्कृत, ८. ज्ञान दीपिका संस्कृत, ९. अष्टाङ्ग हृदयोद्योत संस्कृत, १०. अनगार धर्मामृत (यत्याचार) संस्कृत, ११, मूलराधना (भगवती आराधनाकी टीका) संस्कृत, १२. सागार धर्मामृत (श्रावकाचार) संस्कृत, १३. भरतेश्वराभ्युदय काव्य संस्कृत, १४, त्रिषष्टि स्मृति शास्त्र संस्कृत, १५, राजमति विप्रलम्भ सटीक संस्कृत, १६. भूपाल चतुर्विंशतिका टीका संस्कृत, १७. जिनयज्ञ काव्य संस्कृत, १८, प्रतिष्टा पाठ संस्कृत, १९. सहस्र नाम स्तव संस्कृत. २०. रत्नत्रय विधान टीका संस्कृत।
(तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परंपरा, पृष्ठ संख्या ४/४१); (जै.२/१२८)।