अव्याबाधत्व: Difference between revisions
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<p> सिद्ध जीव के आठ गुणों में एक गुण― अन्य जीवों से अथवा अजीवों से अबाधित रहना । <span class="GRef"> महापुराण 20.222-223, 43.98 </span>इसके लिए ‘‘अव्याबाधाय नम:’’ यह पीठिका― मंत्र है । <span class="GRef"> महापुराण 2.222-223, 40.14,43.98 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सिद्ध जीव के आठ गुणों में एक गुण― अन्य जीवों से अथवा अजीवों से अबाधित रहना । <span class="GRef"> महापुराण 20.222-223, 43.98 </span>इसके लिए ‘‘अव्याबाधाय नम:’’ यह पीठिका― मंत्र है । <span class="GRef"> महापुराण 2.222-223, 40.14,43.98 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
सिद्ध जीव के आठ गुणों में एक गुण― अन्य जीवों से अथवा अजीवों से अबाधित रहना । महापुराण 20.222-223, 43.98 इसके लिए ‘‘अव्याबाधाय नम:’’ यह पीठिका― मंत्र है । महापुराण 2.222-223, 40.14,43.98