अशोक: Difference between revisions
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<p id="2">(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी का राजा । इसकी रानी श्रीमती से श्रीकांता नामा पुत्री हुई थी । 60.68-69 <span class="GRef"> महापुराण </span>के अनुसार विदेहक्षेत्र के पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी का राजा और रानी सोमश्री से उत्पन्न श्रीकांता का पिता । <span class="GRef"> महापुराण </span>71.393-394</p> | <p id="2">(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी का राजा । इसकी रानी श्रीमती से श्रीकांता नामा पुत्री हुई थी । 60.68-69 <span class="GRef"> महापुराण </span>के अनुसार विदेहक्षेत्र के पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी का राजा और रानी सोमश्री से उत्पन्न श्रीकांता का पिता । <span class="GRef"> महापुराण </span>71.393-394</p> | ||
<p id="3">(3) एक वन-जीवंधरकुमार की दीक्षास्थली । <span class="GRef"> महापुराण </span>75.676-677</p> | <p id="3">(3) एक वन-जीवंधरकुमार की दीक्षास्थली । <span class="GRef"> महापुराण </span>75.676-677</p> | ||
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<p id="8">(8) अष्टप्रातिहार्यो मे प्रथम प्रातिहार्य । <span class="GRef"> महापुराण </span>7.293, 24.46-47</p> | <p id="8">(8) अष्टप्रातिहार्यो मे प्रथम प्रातिहार्य । <span class="GRef"> महापुराण </span>7.293, 24.46-47</p> | ||
<p id="9">(9) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण </span>25.133 </p> | <p id="9">(9) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । <span class="GRef"> महापुराण </span>25.133 </p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
1. एक ग्रह - देखें ग्रह ; 2. विजयार्धकी उत्तर श्रेणीका एक नगर -देखें विद्याधर ; 3. वर्तमान भारतीय इतिहासका एक प्रसिद्ध राजा। यह चंद्रगुप्त मौर्यका पोता और बिंबसारका पुत्र था। मगध देशके राजाको बढ़ाकर इसने समस्त भारतमें एक छत्र राज्यकी स्थापना की थी। यह बडा धर्मात्मा था। पहले जैन था परंतु पीछेसे बौद्ध हो गया था। ई. पू. 261 में इसने कलिंग देशपर विजय प्राप्त की और वहांके महारक्तप्रवाहको देखकर इसका चित्त संसारसे विरक्त हो गया है। समय-जैन मान्यतानुसार ई. पू. 277-236 है, और इतिहारकारों के अनुसार ई. पू. 273-232 है।
(विशेष देखें इतिहास - 3. 4)
पुराणकोष से
(1) विजयार्ध पर्वत की उत्तरश्रेणी का एक नगर । हरिवंशपुराण 22.89
(2) जंबूद्वीप के भरतक्षेत्र में स्थित पुष्कलावती देश की वीतशोका नगरी का राजा । इसकी रानी श्रीमती से श्रीकांता नामा पुत्री हुई थी । 60.68-69 महापुराण के अनुसार विदेहक्षेत्र के पुष्कलावती देश की पुंडरीकिणी नगरी का राजा और रानी सोमश्री से उत्पन्न श्रीकांता का पिता । महापुराण 71.393-394
(3) एक वन-जीवंधरकुमार की दीक्षास्थली । महापुराण 75.676-677
(4) अयोध्या नगरी के सेठ वज्रांक और उसकी प्रिया मकरी का ज्येष्ठ पुत्र, तिलक का सहोदर । ये दोनों भाई द्युति नामक मुनि के पास दीक्षित हो गये थे । इन मुनियों को गंतव्य स्थान तक पहुँचने में असमर्थ देख भामंडल ने इनके आहार की व्यवस्था की थी । पद्मपुराण 123.86-102
(5) तीर्थंकरों के केवलज्ञान होते ही रत्नमयी पुष्पों से अलंकृत रक्ताभ पल्लवों से युक्त विपुल स्वर वाला
इस नाम का एक वृक्ष । तीर्थंकर मल्लिनाथ ने इसी वृक्ष के नीचे दीक्षा ली थी । पद्मपुराण 4.24, 20.55
(6) समवसरण भूमि का शोकनाशक वृक्ष । यह वृक्ष जिन प्रतिमाओं से युक्त, ध्वजा घंटा आदि से अलंकृत और वज्रमय मूलभाग वाला होता है । इमे चैत्य पादप कहा गया है । महापुराण 22.184-199, 23.36-41
(7) एक शोभा-वृक्ष जो स्त्रियों के चरण से ताड़ित होकर विकसित होता है । महापुराण 9.9, 6.62, पांडवपुराण 9.12
(8) अष्टप्रातिहार्यो मे प्रथम प्रातिहार्य । महापुराण 7.293, 24.46-47
(9) सौधर्मेंद्र द्वारा स्तुत वृषभदेव का एक नाम । महापुराण 25.133