असंयत: Difference between revisions
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<p> असंयमी संसारी जीव । आरंभ के चार गुणस्थानों के जीव असंयत ही होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.78 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> असंयमी संसारी जीव । आरंभ के चार गुणस्थानों के जीव असंयत ही होते हैं । <span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.78 </span></p> | ||
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Revision as of 16:51, 14 November 2020
असंयमी संसारी जीव । आरंभ के चार गुणस्थानों के जीव असंयत ही होते हैं । हरिवंशपुराण 3.78