अंकुर: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) रावण के राक्षसवंशी राजाओं के साथ युद्ध करने के लिए तत्पर वानरवंशी नृप । <span class="GRef"> पद्मपुराण 60.5-6 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) रावण के राक्षसवंशी राजाओं के साथ युद्ध करने के लिए तत्पर वानरवंशी नृप । <span class="GRef"> पद्मपुराण 60.5-6 </span></p> | ||
<p id="2"> (2) जल-आर्द्रता, पृथिवी का आधार, आकाश का अवगाहन, वायु का अंतर्नीहार और धूप की उष्णता पाकर हुई बीज की भूमि-गर्भ से बाहर निकलने की आरंभिक स्थिति । <span class="GRef"> महापुराण 3.180-181, 5.18 </span></p> | <p id="2"> (2) जल-आर्द्रता, पृथिवी का आधार, आकाश का अवगाहन, वायु का अंतर्नीहार और धूप की उष्णता पाकर हुई बीज की भूमि-गर्भ से बाहर निकलने की आरंभिक स्थिति । <span class="GRef"> महापुराण 3.180-181, 5.18 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:51, 14 November 2020
(1) रावण के राक्षसवंशी राजाओं के साथ युद्ध करने के लिए तत्पर वानरवंशी नृप । पद्मपुराण 60.5-6
(2) जल-आर्द्रता, पृथिवी का आधार, आकाश का अवगाहन, वायु का अंतर्नीहार और धूप की उष्णता पाकर हुई बीज की भूमि-गर्भ से बाहर निकलने की आरंभिक स्थिति । महापुराण 3.180-181, 5.18