अंबर: Difference between revisions
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Revision as of 16:18, 19 August 2020
परमात्मप्रकाश / मूल या टीका अधिकार 2/163/275 अंबरशब्देन शुद्धाकाशं न ग्राह्यं किंतु विषयकषायविकल्पशून्यपरमसमाधिर्ग्राह्यः।
= अंबर शब्द आकाश का वाचक नहीं समझना, किंतु समस्त विषय कषायरूप विकल्प जालों से शून्य परम समाधि लेना।