आभियोग्य: Difference between revisions
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<p> सामानिक आदि दस प्रकार के देवों में एक प्रकार के देव । ये दासों के समान शेष नौ प्रकार के देवों का सेवा कर्म करते हैं । ये देव-सभा में बैठने योग्य नहीं होते । <span class="GRef"> महापुराण 22.29, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.136, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 14.40 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> सामानिक आदि दस प्रकार के देवों में एक प्रकार के देव । ये दासों के समान शेष नौ प्रकार के देवों का सेवा कर्म करते हैं । ये देव-सभा में बैठने योग्य नहीं होते । <span class="GRef"> महापुराण 22.29, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 3.136, </span><span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 14.40 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
सामानिक आदि दस प्रकार के देवों में एक प्रकार के देव । ये दासों के समान शेष नौ प्रकार के देवों का सेवा कर्म करते हैं । ये देव-सभा में बैठने योग्य नहीं होते । महापुराण 22.29, हरिवंशपुराण 3.136, वीरवर्द्धमान चरित्र 14.40