उपवास: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<p>देखें [[ प्रोषधोपवास ]]।</p> | <p>देखें [[ प्रोषधोपवास ]]।</p> | ||
Line 13: | Line 14: | ||
== पुराणकोष से == | == पुराणकोष से == | ||
<p> एक बाह्य तप-अनशन । विधियुक्त उपवास कर्मनाशक होता है । इससे सिद्धत्व प्राप्त होता है । वृषभदेव ने एक वर्ष पर्यंत यह तप किया था । <span class="GRef"> महापुराण 6.142, 145,7.16, 20. 28-29, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 14.114-115 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> एक बाह्य तप-अनशन । विधियुक्त उपवास कर्मनाशक होता है । इससे सिद्धत्व प्राप्त होता है । वृषभदेव ने एक वर्ष पर्यंत यह तप किया था । <span class="GRef"> महापुराण 6.142, 145,7.16, 20. 28-29, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 14.114-115 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:52, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
देखें प्रोषधोपवास ।
पुराणकोष से
एक बाह्य तप-अनशन । विधियुक्त उपवास कर्मनाशक होता है । इससे सिद्धत्व प्राप्त होता है । वृषभदेव ने एक वर्ष पर्यंत यह तप किया था । महापुराण 6.142, 145,7.16, 20. 28-29, पद्मपुराण 14.114-115