ऐरावती: Difference between revisions
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<p id="1"> (1) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के कुरुलांजल देश में हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन की रानी । इसका दूसरा नाम ऐरा था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 5.103 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के कुरुलांजल देश में हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन की रानी । इसका दूसरा नाम ऐरा था । <span class="GRef"> पांडवपुराण 5.103 </span></p> | ||
<p id="2">(2) संभूतरमण वन में बहने वाली नदी । इसी नदी के किनारे मनोवेग विद्याधर हरी हुई चंदना को छोड़ गया था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 379-380, 75.43 -44, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21.102, 27.119 </span></p> | <p id="2">(2) संभूतरमण वन में बहने वाली नदी । इसी नदी के किनारे मनोवेग विद्याधर हरी हुई चंदना को छोड़ गया था । <span class="GRef"> महापुराण 62. 379-380, 75.43 -44, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 21.102, 27.119 </span></p> | ||
<p id="3">(3) इंद्र की अप्सराओं द्वारा किये गये नृत्य में ऐरावत के विद्युन्मय रूप का प्रदर्शन । <span class="GRef"> महापुराण 14.134 </span></p> | <p id="3">(3) इंद्र की अप्सराओं द्वारा किये गये नृत्य में ऐरावत के विद्युन्मय रूप का प्रदर्शन । <span class="GRef"> महापुराण 14.134 </span></p> | ||
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Revision as of 16:52, 14 November 2020
(1) जंबूद्वीप संबंधी भरतक्षेत्र के कुरुलांजल देश में हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन की रानी । इसका दूसरा नाम ऐरा था । पांडवपुराण 5.103
(2) संभूतरमण वन में बहने वाली नदी । इसी नदी के किनारे मनोवेग विद्याधर हरी हुई चंदना को छोड़ गया था । महापुराण 62. 379-380, 75.43 -44, हरिवंशपुराण 21.102, 27.119
(3) इंद्र की अप्सराओं द्वारा किये गये नृत्य में ऐरावत के विद्युन्मय रूप का प्रदर्शन । महापुराण 14.134