कर्णकुंडल: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p id="1"> (1) एक नगर । रावण ने यहाँ हनुमान् का राज्याभिषेक किया था । उस समय यह नगर स्वर्गोपम समृद्धि से मुक्त था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 19.101-103 </span></p> | <div class="HindiText"> <p id="1"> (1) एक नगर । रावण ने यहाँ हनुमान् का राज्याभिषेक किया था । उस समय यह नगर स्वर्गोपम समृद्धि से मुक्त था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 19.101-103 </span></p> | ||
<p id="2">(2) वह नदी जहाँ राम और सीता ने आकाशगामी दो मुनियों को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । राम को अपना परिचय देने के लिए हनुमान् द्वारा सीता ने लंका से यह संस्मरण कहलाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 53. 161-163 </span></p> | <p id="2">(2) वह नदी जहाँ राम और सीता ने आकाशगामी दो मुनियों को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । राम को अपना परिचय देने के लिए हनुमान् द्वारा सीता ने लंका से यह संस्मरण कहलाया था । <span class="GRef"> पद्मपुराण 53. 161-163 </span></p> | ||
<p id="3">(3) राजा मृगारिदमन दास बसाया गया नगर । इसकी स्थापना कण पर्वत के पास की गयी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.525-529 </span></p> | <p id="3">(3) राजा मृगारिदमन दास बसाया गया नगर । इसकी स्थापना कण पर्वत के पास की गयी थी । <span class="GRef"> पद्मपुराण 6.525-529 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:52, 14 November 2020
(1) एक नगर । रावण ने यहाँ हनुमान् का राज्याभिषेक किया था । उस समय यह नगर स्वर्गोपम समृद्धि से मुक्त था । पद्मपुराण 19.101-103
(2) वह नदी जहाँ राम और सीता ने आकाशगामी दो मुनियों को आहार देकर पंचाश्चर्य प्राप्त किये थे । राम को अपना परिचय देने के लिए हनुमान् द्वारा सीता ने लंका से यह संस्मरण कहलाया था । पद्मपुराण 53. 161-163
(3) राजा मृगारिदमन दास बसाया गया नगर । इसकी स्थापना कण पर्वत के पास की गयी थी । पद्मपुराण 6.525-529