कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभास: Difference between revisions
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<p> न्यायदर्शन सूत्र/ मू. व टी./1/2/9/47/15 <span class="SanskritText">कालात्ययापदिष्ट: कालातीत:।9। ....निदर्शनं नित्य: शब्द: संयोगव्यंग्यत्वाद् रूपवत् ।</span> =<span class="HindiText">साधन काल के अभाव हो जाने पर प्रयुक्त किया हेतु कालात्ययापदिष्ट है।9। ....जैसे–शब्द नित्य है संयोग द्वारा व्यक्त होने से रूप की नांई। ( श्लोकवार्तिक/4/ न्या.273/426/27) </span></p> | <p><span class="GRef"> न्यायदर्शन सूत्र/ </span>मू. व टी./1/2/9/47/15 <span class="SanskritText">कालात्ययापदिष्ट: कालातीत:।9। ....निदर्शनं नित्य: शब्द: संयोगव्यंग्यत्वाद् रूपवत् ।</span> =<span class="HindiText">साधन काल के अभाव हो जाने पर प्रयुक्त किया हेतु कालात्ययापदिष्ट है।9। ....जैसे–शब्द नित्य है संयोग द्वारा व्यक्त होने से रूप की नांई। (<span class="GRef"> श्लोकवार्तिक/4/ </span>न्या.273/426/27) </span></p> | ||
<span class="GRef"> न्यायदीपिका/3/40/87/3 </span><span class="SanskritText">बाधितविषय: कालात्पयायपदिष्ट:। यथा–अग्निरनुष्ण: पदार्थत्वात् इति। अत्र हि पदार्थत्वं हेतु: स्वविषयेऽनुष्णत्वे उष्णत्वग्राहकेण प्रत्यक्षेण बाधिते प्रवर्तमानोऽबाधितविषयत्वाभावात्कालात्ययापदिष्ट:।</span> =<span class="HindiText">जिस हेतु का विषय-साध्य प्रत्यक्षादि प्रमाणों से बाधित हो वह कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभास है। जैसे–‘अग्नि ठंडी है क्योंकि वह पदार्थ है’ यहाँ ‘पदार्थत्व’ हेतु अपने विषय ‘ठंडापन,’ जो कि अग्नि की गर्मी को ग्रहण करने वाले प्रत्यक्ष से बाधित है, प्रवृत्त है। अत: अबाधित विषयता न होने के कारण पदार्थत्व हेतु कालात्ययापदिष्ट है। (<span class="GRef"> पंचाध्यायी / पूर्वार्ध/405 </span>) </span> | |||
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Revision as of 12:59, 14 October 2020
न्यायदर्शन सूत्र/ मू. व टी./1/2/9/47/15 कालात्ययापदिष्ट: कालातीत:।9। ....निदर्शनं नित्य: शब्द: संयोगव्यंग्यत्वाद् रूपवत् । =साधन काल के अभाव हो जाने पर प्रयुक्त किया हेतु कालात्ययापदिष्ट है।9। ....जैसे–शब्द नित्य है संयोग द्वारा व्यक्त होने से रूप की नांई। ( श्लोकवार्तिक/4/ न्या.273/426/27)
न्यायदीपिका/3/40/87/3 बाधितविषय: कालात्पयायपदिष्ट:। यथा–अग्निरनुष्ण: पदार्थत्वात् इति। अत्र हि पदार्थत्वं हेतु: स्वविषयेऽनुष्णत्वे उष्णत्वग्राहकेण प्रत्यक्षेण बाधिते प्रवर्तमानोऽबाधितविषयत्वाभावात्कालात्ययापदिष्ट:। =जिस हेतु का विषय-साध्य प्रत्यक्षादि प्रमाणों से बाधित हो वह कालात्ययापदिष्ट हेत्वाभास है। जैसे–‘अग्नि ठंडी है क्योंकि वह पदार्थ है’ यहाँ ‘पदार्थत्व’ हेतु अपने विषय ‘ठंडापन,’ जो कि अग्नि की गर्मी को ग्रहण करने वाले प्रत्यक्ष से बाधित है, प्रवृत्त है। अत: अबाधित विषयता न होने के कारण पदार्थत्व हेतु कालात्ययापदिष्ट है। ( पंचाध्यायी / पूर्वार्ध/405 )