कुर्यधर: Difference between revisions
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<p> दुर्योधन का भानजा । पांडवों को ध्यान-मुद्रा में देखकर इसे अपने मामा के वध का स्मरण हो आया । उस वध का बदला लेने के ध्येय से इसने पांडवों को अग्नि में तप्त लोहे के आभूषण पहिनाए थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 52.57-65 </span><span class="GRef"> महापुराण </span>में इसे कुर्यवर कहा गया है । <span class="GRef"> महापुराण </span>72.268-270</p> | <div class="HindiText"> <p> दुर्योधन का भानजा । पांडवों को ध्यान-मुद्रा में देखकर इसे अपने मामा के वध का स्मरण हो आया । उस वध का बदला लेने के ध्येय से इसने पांडवों को अग्नि में तप्त लोहे के आभूषण पहिनाए थे । <span class="GRef"> पांडवपुराण 52.57-65 </span><span class="GRef"> महापुराण </span>में इसे कुर्यवर कहा गया है । <span class="GRef"> महापुराण </span>72.268-270</p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
दुर्योधन का भानजा । पांडवों को ध्यान-मुद्रा में देखकर इसे अपने मामा के वध का स्मरण हो आया । उस वध का बदला लेने के ध्येय से इसने पांडवों को अग्नि में तप्त लोहे के आभूषण पहिनाए थे । पांडवपुराण 52.57-65 महापुराण में इसे कुर्यवर कहा गया है । महापुराण 72.268-270