क्षेमंधर: Difference between revisions
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<li> वर्तमान कालीन चतुर्थ कुलकर। विशेष परिचय–देखें [[ शलाकापुरुष#9 | शलाकापुरुष - 9]]। </li> | <li> वर्तमान कालीन चतुर्थ कुलकर। विशेष परिचय–देखें [[ शलाकापुरुष#9 | शलाकापुरुष - 9]]। </li> | ||
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<p> चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । <span class="GRef"> महापुराण 3. 103-107, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.78, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.152-153, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 103-106 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । <span class="GRef"> महापुराण 3. 103-107, </span><span class="GRef"> पद्मपुराण 3.78, </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 7.152-153, </span><span class="GRef"> पांडवपुराण 2. 103-106 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- वर्तमान कालीन चतुर्थ कुलकर। विशेष परिचय–देखें शलाकापुरुष - 9।
- कृति–बृहत्कथामंजरी; समय–ई. 1000 (जीवंधर चंपू/प्र.18)।
पुराणकोष से
चौथे मनु । इनकी आयु तुटिकाब्द प्रमाण थी । शारीरिक अवगाहना सात सौ पचहत्तर धनुष थी । दुष्ट जीवों से रक्षा करने के उपायों का उपदेश देकर प्रजा का कल्याण करने से ये इस नाम से प्रसिद्ध हुए । महापुराण 3. 103-107, पद्मपुराण 3.78, हरिवंशपुराण 7.152-153, पांडवपुराण 2. 103-106