गुणसेन: Difference between revisions
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<li>लाड़बागड़ संघ की गुर्वावली के अनुसार आप वीरसेन स्वामी के शिष्य तथा उदयसेन और नरेंद्रसेन के गुरु थे। समय वि.1130 (ई 1073)–देखें [[ इतिहास#7.10 | इतिहास - 7.10]]। </li> | <li>लाड़बागड़ संघ की गुर्वावली के अनुसार आप वीरसेन स्वामी के शिष्य तथा उदयसेन और नरेंद्रसेन के गुरु थे। समय वि.1130 (ई 1073)–देखें [[ इतिहास#7.10 | इतिहास - 7.10]]। </li> | ||
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<p> वृषभदेव के एक गणधर । ये आठवें पूर्वभव में नागदत्त, सातवें में वानर, छठे में भोगभूमि में आर्य, पाँचवें में मनोहर देव, चौथे में चित्रांगद नाम के राजा, तीसरे में सामानिक देव, दूसरे में जयंत और पहले में अहमिंद्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 47.374.375 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> वृषभदेव के एक गणधर । ये आठवें पूर्वभव में नागदत्त, सातवें में वानर, छठे में भोगभूमि में आर्य, पाँचवें में मनोहर देव, चौथे में चित्रांगद नाम के राजा, तीसरे में सामानिक देव, दूसरे में जयंत और पहले में अहमिंद्र थे । <span class="GRef"> महापुराण 47.374.375 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
सिद्धांतकोष से
- लाड़बागड़ संघ की गुर्वावली के अनुसार आप वीरसेन स्वामी के शिष्य तथा उदयसेन और नरेंद्रसेन के गुरु थे। समय वि.1130 (ई 1073)–देखें इतिहास - 7.10।
- लाड़बागड़संघ की गुर्वावली के अनुसार आप नरेंद्रसेन के शिष्य थे। समय वि.1180 (ई 1123)–देखें इतिहास - 7.10]।
पुराणकोष से
वृषभदेव के एक गणधर । ये आठवें पूर्वभव में नागदत्त, सातवें में वानर, छठे में भोगभूमि में आर्य, पाँचवें में मनोहर देव, चौथे में चित्रांगद नाम के राजा, तीसरे में सामानिक देव, दूसरे में जयंत और पहले में अहमिंद्र थे । महापुराण 47.374.375