अंग: Difference between revisions
From जैनकोष
No edit summary |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
== सिद्धांतकोष से == | |||
<OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> (म. पु. प्र. ४९/पं. पन्नालाल) मगध देश का पूर्व भाग। प्रधान नगर चम्पा (भागलपुर) है। </LI> | <OL start=1 class="HindiNumberList"> <LI> (म. पु. प्र. ४९/पं. पन्नालाल) मगध देश का पूर्व भाग। प्रधान नगर चम्पा (भागलपुर) है। </LI> | ||
<LI> भरत क्षेत्र आर्य खण्ड का एक देश - <b>देखे </b>[[मनुष्य]] /४। </LI> | <LI> भरत क्षेत्र आर्य खण्ड का एक देश - <b>देखे </b>[[मनुष्य]] /४। </LI> | ||
Line 12: | Line 13: | ||
[[Category:पद्मपुराण]] | [[Category:पद्मपुराण]] | ||
[[Category:धवला]] | [[Category:धवला]] | ||
== पुराणकोष से == | |||
<p id="1">(1) श्रुत । मूलत: ये ग्यारह कहे गये हैं― 1. आचारांग 2. सूत्रकृतांग 3. स्थानांग 4. समवायांग 5. व्याख्याप्रज्ञप्तिअंग 6. ज्ञातृधर्मकथांग 7. उपासकाध्ययनांग 8. अन्तकुद्दशांग 9. अनुत्तरोपपादिकदशांग 10. प्रश्नव्याकरणांग और 11 विपाकसूत्रांग । इनमें दृष्टिवादाग को सम्मिलित करने से ये बारह अंग हो जाते हैं । महापुराण 6.148, 51, 13, हरिवंशपुराण 2.92-15</p> | |||
<p id="2"> (2) भरतक्षेत्र के आर्यखण्ड का एक देश । इसकी रचना स्वयं इन्द्र ने की थी । वृषभदेव और महावीर ने विहार कर यहाँ धर्मोपदेश दिये थे । महापुराण 16.152-156, 25.287-288, पांडवपुराण 1. 132-134</p> | |||
<p id="3"> (3) रत्नप्रभा नरकभूमि के खरभाग का बारहवां पटल । हरिवंशपुराण 4.52-54 [[ खरभाग | देखें खरभाग ]]</p> | |||
<p id="4"> (4) तालगत गान्धर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.149-152</p> | |||
<p id="5"> (5) सुग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र, अंगद का अग्रज और राम के पुत्रों का सहायक योद्धा । राम-लक्ष्मण और राम के पुत्रों के बीच हुए युद्ध में इसने लवणांकुश के सहायक सेनानायक वज्रजंघ का साथ दिया था । पद्मपुराण 10.12, 60.57-59, 102.154-157</p> | |||
<p id="6"> (6) प्राणियों के अंगोपांग के स्पर्श अथवा दर्शन द्वारा उनके सुख-दुःख के बोधक अष्टांगनिमित्तज्ञान का एक भेद । महापुराण 62.181 185, हरिवंशपुराण 10. 117, [[ अष्टांगनिमित्तज्ञान | देखें अष्टांगनिमित्तज्ञान ]]।</p> | |||
<noinclude> | |||
[[ अंकुर | पूर्व पृष्ठ ]] | |||
[[ अंगज | अगला पृष्ठ ]] | |||
</noinclude> | |||
[[Category: पुराण-कोष]] | |||
[[Category: अ]] |
Revision as of 13:41, 5 May 2020
== सिद्धांतकोष से ==
- (म. पु. प्र. ४९/पं. पन्नालाल) मगध देश का पूर्व भाग। प्रधान नगर चम्पा (भागलपुर) है।
- भरत क्षेत्र आर्य खण्ड का एक देश - देखे मनुष्य /४।
- (पद्मपुराण सर्ग १०/१२) सुग्रीव का बड़ा पुत्र। ५.
- (धवला पुस्तक संख्या ५/प्र. २७) Element।
पं. ध./उ./४७८ लक्षणं च गुणश्चाङ्गं शब्दाश्चैकार्थवाचकाः।
= लक्षण, गुण और अंग ये सब एकार्थवाचक शब्द हैं।
- अनुमान के पाँच अंग – देखे अनुमान /३।
- जल्प के चार अंग - देखे जल्प ।
- सम्यग्दर्शन, ज्ञान व चारित्र के अंग - देखे वह वह नाम ।
- शरीर के अंग - देखे अंगोपांग ।
पुराणकोष से
(1) श्रुत । मूलत: ये ग्यारह कहे गये हैं― 1. आचारांग 2. सूत्रकृतांग 3. स्थानांग 4. समवायांग 5. व्याख्याप्रज्ञप्तिअंग 6. ज्ञातृधर्मकथांग 7. उपासकाध्ययनांग 8. अन्तकुद्दशांग 9. अनुत्तरोपपादिकदशांग 10. प्रश्नव्याकरणांग और 11 विपाकसूत्रांग । इनमें दृष्टिवादाग को सम्मिलित करने से ये बारह अंग हो जाते हैं । महापुराण 6.148, 51, 13, हरिवंशपुराण 2.92-15
(2) भरतक्षेत्र के आर्यखण्ड का एक देश । इसकी रचना स्वयं इन्द्र ने की थी । वृषभदेव और महावीर ने विहार कर यहाँ धर्मोपदेश दिये थे । महापुराण 16.152-156, 25.287-288, पांडवपुराण 1. 132-134
(3) रत्नप्रभा नरकभूमि के खरभाग का बारहवां पटल । हरिवंशपुराण 4.52-54 देखें खरभाग
(4) तालगत गान्धर्व का एक भेद । हरिवंशपुराण 19.149-152
(5) सुग्रीव का ज्येष्ठ पुत्र, अंगद का अग्रज और राम के पुत्रों का सहायक योद्धा । राम-लक्ष्मण और राम के पुत्रों के बीच हुए युद्ध में इसने लवणांकुश के सहायक सेनानायक वज्रजंघ का साथ दिया था । पद्मपुराण 10.12, 60.57-59, 102.154-157
(6) प्राणियों के अंगोपांग के स्पर्श अथवा दर्शन द्वारा उनके सुख-दुःख के बोधक अष्टांगनिमित्तज्ञान का एक भेद । महापुराण 62.181 185, हरिवंशपुराण 10. 117, देखें अष्टांगनिमित्तज्ञान ।