जमदग्नि: Difference between revisions
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<p> राजा सहस्रबाहु के काका शतबिंदु और उसकी रानी श्रीमती का पुत्र । यह कान्यकुब्ज के राजा पारत का भानजा था । कुमारावस्था में इसकी मां मर गयी थी अत: विरक्त होकर यह तापस हो गया था तथा पंचाग्नि तप करने लगा था । इसने राजा पारत के पास जाकर उनसे एक कन्या की याचना की थी । राजा पारत भी उसे कन्या देने के लिए सहमत हो गया था किंतु पारत की सौ पुत्रियों में से किसी एक ने भी तप से दग्ध इसे अर्धदग्ध शव मानकर नहीं चाहा । अंत में एक धूलि में खेलती हुई छोटी सी लड़की के पास गया और उसे केला दिखाकर पूछा कि क्या वह उसे चाहती है । इस प्रश्न के उत्तर में हाँ कहलाकर इसने राजा से वह लड़की प्राप्त कर ली थी । यह वन की ओर चला गया था । इसने उस लड़की का नाम रेणुकी रखकर उससे विवाह कर लिया था । रेणुकी से इसके इंद्र और श्वेतराम नामक दो पुत्र हुए । रेणुकी के भाई अरिंजय मुनि ने रेणुकी को सम्यग्दर्शन रूपी धन देते हुए कामधेनु नाम की विद्या और मंत्र सहित एक फरसा दिया था । जमदग्नि के भाई सहस्रबाहु का पुत्र कृतवीर रेणुकी से कामधेनु विद्या लेना चाहता था जिसे रेणुकी नहीं देना चाहती थी । कृतवीर को बलपूर्वक कामधेनु ले जाते देखकर इसने उसका विरोध किया और विरोध के फलस्वरूप यह कृतवीर के द्वारा मारा गया । <span class="GRef"> महापुराण 65.58-61, 81-106 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.9 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> राजा सहस्रबाहु के काका शतबिंदु और उसकी रानी श्रीमती का पुत्र । यह कान्यकुब्ज के राजा पारत का भानजा था । कुमारावस्था में इसकी मां मर गयी थी अत: विरक्त होकर यह तापस हो गया था तथा पंचाग्नि तप करने लगा था । इसने राजा पारत के पास जाकर उनसे एक कन्या की याचना की थी । राजा पारत भी उसे कन्या देने के लिए सहमत हो गया था किंतु पारत की सौ पुत्रियों में से किसी एक ने भी तप से दग्ध इसे अर्धदग्ध शव मानकर नहीं चाहा । अंत में एक धूलि में खेलती हुई छोटी सी लड़की के पास गया और उसे केला दिखाकर पूछा कि क्या वह उसे चाहती है । इस प्रश्न के उत्तर में हाँ कहलाकर इसने राजा से वह लड़की प्राप्त कर ली थी । यह वन की ओर चला गया था । इसने उस लड़की का नाम रेणुकी रखकर उससे विवाह कर लिया था । रेणुकी से इसके इंद्र और श्वेतराम नामक दो पुत्र हुए । रेणुकी के भाई अरिंजय मुनि ने रेणुकी को सम्यग्दर्शन रूपी धन देते हुए कामधेनु नाम की विद्या और मंत्र सहित एक फरसा दिया था । जमदग्नि के भाई सहस्रबाहु का पुत्र कृतवीर रेणुकी से कामधेनु विद्या लेना चाहता था जिसे रेणुकी नहीं देना चाहती थी । कृतवीर को बलपूर्वक कामधेनु ले जाते देखकर इसने उसका विरोध किया और विरोध के फलस्वरूप यह कृतवीर के द्वारा मारा गया । <span class="GRef"> महापुराण 65.58-61, 81-106 </span><span class="GRef"> हरिवंशपुराण 25.9 </span></p> | ||
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Revision as of 16:53, 14 November 2020
राजा सहस्रबाहु के काका शतबिंदु और उसकी रानी श्रीमती का पुत्र । यह कान्यकुब्ज के राजा पारत का भानजा था । कुमारावस्था में इसकी मां मर गयी थी अत: विरक्त होकर यह तापस हो गया था तथा पंचाग्नि तप करने लगा था । इसने राजा पारत के पास जाकर उनसे एक कन्या की याचना की थी । राजा पारत भी उसे कन्या देने के लिए सहमत हो गया था किंतु पारत की सौ पुत्रियों में से किसी एक ने भी तप से दग्ध इसे अर्धदग्ध शव मानकर नहीं चाहा । अंत में एक धूलि में खेलती हुई छोटी सी लड़की के पास गया और उसे केला दिखाकर पूछा कि क्या वह उसे चाहती है । इस प्रश्न के उत्तर में हाँ कहलाकर इसने राजा से वह लड़की प्राप्त कर ली थी । यह वन की ओर चला गया था । इसने उस लड़की का नाम रेणुकी रखकर उससे विवाह कर लिया था । रेणुकी से इसके इंद्र और श्वेतराम नामक दो पुत्र हुए । रेणुकी के भाई अरिंजय मुनि ने रेणुकी को सम्यग्दर्शन रूपी धन देते हुए कामधेनु नाम की विद्या और मंत्र सहित एक फरसा दिया था । जमदग्नि के भाई सहस्रबाहु का पुत्र कृतवीर रेणुकी से कामधेनु विद्या लेना चाहता था जिसे रेणुकी नहीं देना चाहती थी । कृतवीर को बलपूर्वक कामधेनु ले जाते देखकर इसने उसका विरोध किया और विरोध के फलस्वरूप यह कृतवीर के द्वारा मारा गया । महापुराण 65.58-61, 81-106 हरिवंशपुराण 25.9