दक्षिण प्रतिपत्ति: Difference between revisions
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आगम में आचार्य परंपरागत उपदेशों को ऋजु व सरल होने के कारण दक्षिणप्रतिपत्ति कहा गया है। धवलाकार श्रीवीरसेनस्वामी इसकी प्रधानता देते हैं। ( धवला 5/1,6,37/32,6 ); ( धवला 1/ प्र.57); ( धवला 2/ प्र.15)। | आगम में आचार्य परंपरागत उपदेशों को ऋजु व सरल होने के कारण दक्षिणप्रतिपत्ति कहा गया है। धवलाकार श्रीवीरसेनस्वामी इसकी प्रधानता देते हैं। (<span class="GRef"> धवला 5/1,6,37/32,6 </span>); (<span class="GRef"> धवला 1/ </span>प्र.57); (<span class="GRef"> धवला 2/ </span>प्र.15)। | ||
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Revision as of 13:00, 14 October 2020
आगम में आचार्य परंपरागत उपदेशों को ऋजु व सरल होने के कारण दक्षिणप्रतिपत्ति कहा गया है। धवलाकार श्रीवीरसेनस्वामी इसकी प्रधानता देते हैं। ( धवला 5/1,6,37/32,6 ); ( धवला 1/ प्र.57); ( धवला 2/ प्र.15)।