द्रव्यबंध: Difference between revisions
From जैनकोष
(Imported from text file) |
(Imported from text file) |
||
Line 1: | Line 1: | ||
<p> भावबंध के निमित्त से जीव और कर्म का परस्पर संक्लिष्ट होना । यह बंध चार प्रकार का होता है― प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.144-145 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> भावबंध के निमित्त से जीव और कर्म का परस्पर संक्लिष्ट होना । यह बंध चार प्रकार का होता है― प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश । <span class="GRef"> वीरवर्द्धमान चरित्र 16.144-145 </span></p> | ||
</div> | |||
<noinclude> | <noinclude> |
Revision as of 16:54, 14 November 2020
भावबंध के निमित्त से जीव और कर्म का परस्पर संक्लिष्ट होना । यह बंध चार प्रकार का होता है― प्रकृति, स्थिति, अनुभाग और प्रदेश । वीरवर्द्धमान चरित्र 16.144-145