धूमवेग: Difference between revisions
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<p> श्रीपाल के पूर्वभव का बैरी एक विद्याधर । इसने अपने सेवकों को आदेश दिया कि ये श्रीपाल को श्मशान में ले जाकर पाषाण-शस्त्रों से मार दे । इन शस्त्रों से मारे जाने पर भी श्रीपाल आहत नहीं हुआ, पत्थर उसे फूल बन गये । इसने श्रीपाल को एक अग्निकुंड में भी डाल दिया किंतु इसके पास की महौषधि की शक्ति से वह अग्नि भी शांत हो गयी और श्रीपाल अग्निकुंड से निकल गया । <span class="GRef"> महापुराण 47.89-90, 107-110 </span></p> | <div class="HindiText"> <p> श्रीपाल के पूर्वभव का बैरी एक विद्याधर । इसने अपने सेवकों को आदेश दिया कि ये श्रीपाल को श्मशान में ले जाकर पाषाण-शस्त्रों से मार दे । इन शस्त्रों से मारे जाने पर भी श्रीपाल आहत नहीं हुआ, पत्थर उसे फूल बन गये । इसने श्रीपाल को एक अग्निकुंड में भी डाल दिया किंतु इसके पास की महौषधि की शक्ति से वह अग्नि भी शांत हो गयी और श्रीपाल अग्निकुंड से निकल गया । <span class="GRef"> महापुराण 47.89-90, 107-110 </span></p> | ||
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Revision as of 16:54, 14 November 2020
श्रीपाल के पूर्वभव का बैरी एक विद्याधर । इसने अपने सेवकों को आदेश दिया कि ये श्रीपाल को श्मशान में ले जाकर पाषाण-शस्त्रों से मार दे । इन शस्त्रों से मारे जाने पर भी श्रीपाल आहत नहीं हुआ, पत्थर उसे फूल बन गये । इसने श्रीपाल को एक अग्निकुंड में भी डाल दिया किंतु इसके पास की महौषधि की शक्ति से वह अग्नि भी शांत हो गयी और श्रीपाल अग्निकुंड से निकल गया । महापुराण 47.89-90, 107-110